सोमवार, 11 दिसंबर 2017

गीत संग्रह बैरन भई बाँसुरी का किया गया लोकार्पण 

         दिनांक 10 दिसम्बर, 2017 को श्री गोविन्द हिन्दी सेवा समिति के तत्वाधान में गोविन्द कुटीर, हरथला, मुरादाबाद में लोकार्पण समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। कार्यक्रम में रामवीर सिंह 'वीर' के गीत संग्रह 'बैरन भई बाँसुरी' का लोकार्पण किया गया 



        इसके पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की।  विवेक 'निर्मल' ने "हादसों में कटी जिंदगी, लम्हा लम्हा घटी जिंदगी।" राजीव 'प्रखर' ने "जात-पात और भेदभाव से अब लड़ने की बारी है। उठो साथियों आजादी की जंग अभी भी जारी है।" श्री कृष्ण शुक्ल ने "अब तो चलनी चाहिए, कोई ऐसी रीत। तज के मिथ्या दंभ को, सभी निभाए प्रीत।" आफरीन ने "जिंदगी जीना आसान नहीं होता, बिना मेहनत कोई काम नहीं होता।" राजीव सक्सेना ने "गाँव-गाँव छिड़े है दंगल, शहर बने नालों के जंगल।"

        कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री आर० सी० शुक्ला ने की। मुख्य अतिथि डॉ० राजीव सक्सेना तथा विशिष्ट अतिथि डॉ० महेश दिवाकर एवं अशोक विश्नोई रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री अमरीश गर्ग ने किया। इस अवसर पर उदय प्रकाश सकसेना 'अस्त', योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', डॉ० महेश दिवाकर, अशोक विश्नोई लोग उपस्थित रहे।

सोमवार, 4 दिसंबर 2017

.......मेरे घर का पता कुछ और बतलाया गया उनको

हिन्दी साहित्य संगम द्वारा योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई को किया गया सम्मानित

      दिनाँक 3 दिसम्बर, 2017 को हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार मुरादाबाद स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। तत्पश्चात श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी जी ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। 



      कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य संगम के संस्थापक स्व० श्री राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी की चतुर्थ पुण्यतिथि पर उनकी पावन स्मृति में मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई जी को राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप इन्हे मान-पत्र, प्रतीक-चिन्ह, अंग-वस्त्र एवं नकद राशि प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ० महेश दिवाकर ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि श्री वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी जी रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा व्योम तथा राजीव प्रखर ने संयुक्त रुप से किया।



       सम्मान की प्रक्रिया के पश्चात काव्य संध्या आरम्भ हुई। राजीव 'प्रखर' ने, "हरे-भरे इक पेड़ से मिलती, हमको शीतल छाया है। लगता ऐसा, सर पर अपने, बाबू जी का साया है।" अम्बरीष गर्ग ने "सच बोलूं, तो, मुझे किसी का ध्यान नहीं आया। कठिन वक्त में, माँ आई, भगवान नहीं आया।" अशोक विद्रोही ने "अंधेरों में उजालों के लिए कुछ दीप जलते हैं, महक अपनी लुटाने को चमन में फूल खिलते हैं।" विकास मुरादाबादी ने "कांग्रेस अरु भाजपा, लगी हुई दिन-रात। पता नहीं इस बार यह, किसका हो गुजरात।।" विवेक निर्मल ने "रात भर दीप जलता रहा। यह अंधेरों को खलता रहा।" मोनिका शर्मा मासूम ने "जुबां पर आजकल सबके चढ़ी सरकार की बातें, कलम की नोक तक आने लगीं तलवार की बातें।"


 
      जितेन्द्र कुमार जौली ने "रिश्वत के इस जाल में, फँसा पड़ा है मुल्क। रिश्वतखोरी बन गया, अब तो सुविधा शुल्क।।" हेमा तिवारी भट्ट में "निराशा दिलों की हटाएं चलो, अंधेरों में दीपक जलाएं चलो।" रामदत्त द्विवेदी ने "बहुत किया मंथन तभी, पाया हूँ यह खोज। हर उन्नति के मूल में, छिपी से श्रेष्ठ है सोच।।" के० पी० सिंह 'सरल' ने "आतंकी हालातों ने सब को पत्थर बना दिया है, साँसो पर मृत्यु का पहरा हर दिल डर को बसा दिया है।" रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने "अब नही गफलत है पहली से हिंदुस्तान में, अब न  कुछ कहना तू मेरे वतन की शान में।" श्रीकृष्ण  शुक्ल ने "नित्य होम श्वासों का करता हूँ, नित्य ही जीता, नित्य ही मरता हूँ।"

        डॉ० रामवीर सिंह वीर में "मेरे हरे-भरे उपवन को जाने किसकी नजर लगी, भाईचारे के आंगन में घृणा की दीवार लगी।" योगेन्द्र वर्मा व्योम ने "छँटा कुहासा मौन का, निखरा मन का रूप। रिश्तो में जब खिल उठी, अपनेपन की धूप।" शिशुपाल मधुकर ने "बहारें रास्ता भूली कि भटकाया गया उनको, मेरे घर का पता कुछ और बतलाया गया उनको।" अशोक विश्नोई ने "घुटनों के बल चलो, खड़े हो जाओगे। लक्ष्य अपना कभी तो पा ही जाओगे।" वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी ने "गंगा जल से निर्मल मन का, बोलो कोई क्या कर लेगा, कोई उसको क्या दे देगा, कोई उससे क्या हार लेगा।" डॉ० महेश दिवाकर ने "गुरु शिष्य सम्बन्ध है, संस्कृति का सम्मान। ध्रुव तारा यदि शिष्य है, तो गुरु है दिनमान।।" आफरीन ने "ईमान को नीलाम होते देखा है, शहरों को वीरान होते देखा है।" प्रदीप शर्मा विरल ने "घोर निराशा में खुशियों के गीत सुनाता हूँ,अँधियारे को दूर करे वो दीप जलाता हूँ।"  कार्यक्रम के अंत में संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी जी ने कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।



सोमवार, 4 सितंबर 2017

कौन जानता कितनी रातें, सोए नहीं पिता.....

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी में कवियों ने व्यक्त किए हृदय के उद्गार 

         हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में दिनाँक 3 सितम्बर, 2017 को मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।



          जितेन्द्र कुमार जौली ने अपनी कविता इस प्रकार प्रस्तुत की "फैशन के इस दौर ने, ऐसा किया कमाल। गंजे आज उगा रहे, अपने सिर पर बाल।।" रामसिंह नि:शंक ने "आओ इस देश के विकास में कुछ योगदान करें। पहले दूजों का करें फिर अपना भी कल्याण करें।।" अशोक विद्रोही ने "देखो! देखो! भारत वीरो बौनी सेना आती है। उसे दिखाना भारत की अब 56 इन्ची की छाती है।।" के०पी० सिंह सरल ने "आनन आच्छादित अलक, जलज मधुप आकीर्ण। क्यों पूनम की चाँदनी, बदली करे विदीर्ण।।" राजीव प्रखर ने "इक पौधा रोपा क्यारी में, मुझको भी यह अहसास हुआ। जो अचल-अटल-अविनाशी है, वह कितना मेरे पास हुआ।।" आशुतोष कुलश्रेष्ठ ने "महिला हो वीरांगना हो, क्यों प्रताड़ित फिर भी हो। वेदना दुःख एक बराबर, क्यों ये पीड़ा तुम सहो।।" अखिलेश वर्मा ने "खो दिया जिसने भी भरोसा तो दूर तक वह चला नहीं करता।।" 



       हेमा तिवारी भट्ट ने "एक जंग सीमा पर है, एक जंग सीमा भीतर। वह शत्रु सामने है, यह शत्रु ने दिखे पर।।" डॉ० मनोज रस्तोगी ने "यह सोच कर उदास हैं चौराहों पर लगे बुत, हमारे शहर में वो लहु बहाने निकल पड़े हैं।।" शचीन्द्र भटनागर ने "हम मशालें हाथ में लेकर चले हैं, अब अँधेरे रह ना पाएँगे धरा पर।।" ओंकार सिंह ओंकार ने "जाति मजहब धर्म के झगड़े मिटाने के लिए। आओ! सोचें बीच की दीवार ढाने के लिए।।" रामदेव द्विवेदी ने "हाल और चाल सभी पूछते हैं सबसे यहाँ, टूटे दिलों का मगर कोई भी हमदर्द नही।"  योगेन्द्र वर्मा व्योम ने "बाँसुरी का साथ स्वर से छुट रहा है, भावनाओं का यहाँ दम घुट रहा है। खो गया है आपसी हँसना-हँसाना, नित्य पीड़ा का खजाना लुट रहा है।।" अम्बरीश गर्ग ने "यों तो छुटकी की शादी पर, रोये नहीं पिता। कौन जानता कितनी रातें, सोए नहीं पिता।।" डॉ० महेश दिवाकर ने "रूप बदलकर भेड़िए, पहुँच रहे दरबार। राजा जी हर्षित बड़े, बाँट रहे उपहार।।" प्रशांत मिश्रा ने "छोटी-छोटी खुशियाँ मन महकाती हैं, धीरे-धीरे से दिल में उतर जाती हैं।।" आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' ने "कितनी खूबियाँ है मुझमें, मैं कभी समझ नहीं पाया। मैं अपनी उपलब्धियों को कभी गिन नहीं पाया।।"

        कार्यक्रम की अध्यक्षता शचीन्द्र भटनागर ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार तथा विशिष्ट अतिथि श्री के०पी० सिंह 'सरल' रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राजीव प्रखर ने किया और सरस्वती वन्दना श्री राम सिंह नि:शंक ने प्रस्तुत की।

बुधवार, 30 अगस्त 2017

माहेश्वर तिवारी के साहित्य से लोगों ने किया संवाद

          दिनांक 30 अगस्त, 2017 को दैनिक जागरण, मुरादाबाद की ओर से रामगंगा विहार, मुरादाबाद स्थित एम०आई०टी० के सभागार में 'साहित्य से संवाद' नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम यश भारती से सम्मानित मुरादाबाद के सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी जी पर केन्द्रित था। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया।


  
          दैनिक जागरण की ओर से उन्हें सम्मान के रूप में शॉल, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। छात्राओं की ओर से मां शारदे की संगीतमयी वंदना की प्रस्तुति के बाद नवगीतगार माहेश्वर तिवारी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा शुरू हुई। माहेश्वर तिवारी जी ने अपनी  रचनाओं का सस्वर पाठ किया। तिवारी जी ने अपनी कविता 'धूप में जले जब भी पांव घर की याद आई, घर के झूठे बासन बोले सुबह हो गई, डायरी में अंगुलियों के फूल से, नाम लिख गया भूल से' सुनाई। इन कविताओं को सुनकर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। 



         काव्यपाठ के बाद माहेश्वर तिवारी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की शुरुआत साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने की। इसके बाद कृष्ण कुमार नाज, अजय अनुपम, मक्खन मुरादाबादी ने आलेख पढ़े तथा हेमा तिवारी भट्ट ने तिवारी जी के सन्दर्भ में लिखी कविता प्रस्तुत की। शायर मंसूर उस्मानी व जमीर दरवेश ने भी भावपूर्ण ढंग से तिवारी के व्यक्ति्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।



        मंडलायुक्त एल वेंकटेश्वर लू ने कहा कि आधुनिक युग में युवा वर्ग पर नकारात्मक चीजें हावी हो रही हैं। साहित्यकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। इस दौर में जागरण ने बौद्धिक क्षमता के विकास को लेकर नई पहल शुरू की है। ऐसे ही प्रयासों से रचनात्मकता बढ़ेगी और समाज से असमानता दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि समाज और देश को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि जात-पात, छुआ-छूत और गरीबी को दूर करने की मजबूत पहल की जाए। साहित्यकारों को इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए। अपने लेखन से वे समाज को नई दिशा दे सकते हैं और कुरीतियों को खत्म करने में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। उन्होंने माहेश्वर तिवारी की प्रसंशा करते हुए कहा कि अभी तक मैं सिर्फ उनकी कविताओं की चर्चा सुनता था, लेकिन यह पहला मौका है जब उन्हें प्रत्यक्ष रूप से कविता पाठ करते हुए देखा। विशिष्ट अतिथि डीआइजी ओंकार सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में सृजनात्मक क्षमता का विकास थम सा गया है। लोग इधर-उधर की बातों पर अधिक ध्यान देते हैं, जिससे असल मुद्दे गायब हो जाते हैं। हमें युवा पीढ़ी में यह भाव भरने की जरूरत है कि वे देश व समाज को मजबूत बनाने की अपनी जिम्मेदारी समझें।



         उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि दैनिक जागरण के कार्यक्रम में पहली बार इतना जनसमूह देखकर यह महसूस हो रहा है कि साहित्य प्रेमियों की कहीं कमी नहीं है। जागरण के प्रयास की जितनी सराहना की जाए कम है। इससे पहले संपादकीय प्रभारी संजय मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते कहा कि साहित्य से संवाद कार्यक्रम की शुरुआत करने के पीछे दैनिक जागरण का उद्देश्य यहां के साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों को उचित मंच देने का है। मुझे भरोसा है कि आज से शुरू हुई विमर्श की यह परंपरा मजबूती से आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि नवगीतकार माहेश्वर तिवारी समूचे देश के मंचों पर सुने और सराहे जाते हैं। वे ऐसे विरले शख्सियत हैं, जिन्होंने पूर्वाचल और पश्चिमांचल को एक सूत्र में पिरोने का सराहनीय कार्य किया है।

        कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दू कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामानंद शर्मा ने की। मुख्य अतिथि मंडलायुक्त एल वेंकटेश्वर लू, विशिष्ट अतिथि डी०आई०जी० ओंकार सिंह, शायर जमीर दरवेज रहे। कार्यक्रम का संचालन मनोज रस्तोगी ने किया।

         कार्यक्रम में अशोक विश्नोई, अतुल जौहरी, डॉ० अजय 'अनुपम', ओमकार सिंह 'ओकार', कृष्ण कुमार 'नाज', जितेन्द्र कुमार 'जौली', जमीर दरवेश, जिया जमीर, परशुराम 'नया कबीर', पूनम बंसल, डॉ० प्रेमावती उपाध्याय, फक्कड़ मुरादाबादी, मक्खन मुरादाबादी, मनोज रस्तौगी, डॉ० मीना नकवी, मनोज 'मनु', मंसूर उस्मानी, योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', रामदत्त द्विवेदी, रामेश्वर प्रसाद 'वशिष्ठ', डॉ० राकेश 'चक्र',  रामसिंह 'निःशंक', विकास मुरादाबादी,  विवेक 'निर्मल', वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी', शिशुपाल 'मधुकर', शचीन्द्र भटनागर, के०पी० सिंह 'सरल', राजीव प्रखर, हेमा तिवारी भट्ट, अर्चना गुप्ता, मोनिका मासूम, प्रदीप शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।

रविवार, 27 अगस्त 2017

वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी को किया जाएगा सम्मानित 

        दिनाँक 27 अगस्त, 2017 को हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी की बैठक मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित, मिलन धर्मशाला में आयोजित की गई।


        बैठक में हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया गया। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी जी ने बताया कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर हिन्दी दिवस समारोह आयोजित किया जाएगा। बैठक में हिन्दी दिवस के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई।
         बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस वर्ष मुरादाबाद के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी जी को 'हिन्दी साहित्य गौरव' सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर दिनाँक 13 सितम्बर, 2017 को आकांक्षा विद्यापीठ, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया जाएगा।
         बैठक की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी जी ने तथा संचालन संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने किया। बैठक में श्री ओमकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, राजीव प्रखर, हेमा तिवारी भट्ट, प्रदीप शर्मा, के०पी० सिंह सरल आदि लोग उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

बृजभूषण सिंह गौतम अनुराग को दी गई श्रद्धांजलि

      दिनाँक 18 अगस्त, 2017 ई० को हिन्दी साहित्य संगम के तत्वाधान में मिलन विहार मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में मुरादाबाद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, महाकवि श्री बृजभूषण सिंह गौतम अनुराग जी के आकस्मिक निधन पर शोक सभा आयोजित की गई।



       इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि "अनुराग जी अद्भुत रचनाकार थे, उनके द्वारा रचित गीत, गजलें, कहानियाँ, महाकाव्य, दोहे सहित समग्र रचनाकर्म रचनाकर्म हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। 'अनुराग' जी दैहिक रूप से भले ही हमारे मध्य आज नहीं हों किन्तु अपनी रचनाओं के रूप में सदैव हमारे मध्य बने रहेंगे।"



        ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग जी का निधन 84 वर्ष की आयु में 17 अगस्त, 2017 ई० को हो गया था। उन्होंने अपने जीवन काल में तीन दर्जन से अधिक पुस्तके लिखी लिखीं। आँसू, हिन्दुत्व विनाश की ओर, दर्पन मेरे गाँव का, चाँदनी, धूप आती ही नही, सोनजुही की गन्ध, आँगन में सोनपरी, अपने-अपने सूरज, साँसो की समाधि, चन्दन वन सँवरें, एक टुकड़ा आसमान, आँगन से आकाश तक आदि उनकी कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे 'दर्पन मेरे गाँव का' महाकाव्य के लिए 15,000 रुपये तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'चाँदनी' महाकाव्य के लिए 8,000 रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हे दो दर्जन से अधिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया।

        इस अवसर पर राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, अक्षरा, सुकाव्य प्रेरणा मंच, परमार्थ, संकेत, श्री गोविन्द हिन्दी साहित्य सेवा समिति आदि संस्थाओं के प्रतिनिधियों साहित्य श्री रामदत्त द्विवेदी, जितेन्द्र कुमार जौली, योगेन्द्र वर्मा व्योम, राजीव प्रखर, शिशुपाल मधुकर, अशोक विश्नोई, ओमकार सिंह ओंकार, विवेक निर्मल, के० पी० सिंह सरल, सतीश गुप्ता फ़िगार, विकास मुरादाबादी, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, वीरेन्द्र सिंह बृजवासी, रमेशचंद्र यादव कृष्ण, हेमा तिवारी भट्ट, महेश दिवाकर, रामवीर सिंह वीर, अंकित गुप्ता अंक, अशोक विद्रोही, आर० एल० शुक्ला आदि लोग उपस्थित रहे। 

       श्रद्धांजलि सभा के अंत में 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

महाकवि ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग का निधन

            मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार, महाकवि श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' का 84 वर्ष की आयु में दिनांक 17 अगस्त, 2017 को निधन हो गया। 



            उनका जन्म 30 जून, 1933 को बदायूं जिले में हुआ था। उन्होने हिन्दी सहित पाँच विषयों में परास्नातक उपाधि प्राप्त की। उनका प्रथम गीत संग्रह आँसू सन् 1951 में प्रकाशित हुआ। उनके दो महाकाव्य 'दर्पण मेरे गाँव का' और 'चाँदनी' काफी चर्चित रहे। उन्होने अपने जीवन काल में लगभग तीन दर्जन  पुस्तकें लिखी, जिनमें एक दर्जन से अधिक प्रकाशित हो चुकी है। आँसू, हिन्दुत्व विनाश की ओर, दर्पन मेरे गाँव का, चाँदनी, धूप आती ही नही, सोनजुही की गन्ध, आँगन में सोनपरी, अपने-अपने सूरज, साँसो की समाधि, चन्दन वन सँवरें, एक टुकड़ा आसमान, आँगन से आकाश तक आदि उनकी कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
      
            उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे 'दर्पन मेरे गाँव का' महाकाव्य के लिए 15,000 रुपये तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'चाँदनी' महाकाव्य के लिए 8,000 रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हे दो दर्जन से अधिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। मुरादाबाद शहर का साहित्य ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग जी के इस बहुमूल्य साहित्यिक योगदान के लिए सदैव ऋणी रहेगा।  साहित्य मुरादाबाद इण्टरनेट पत्रिका परिवार आपको शत-शत नमन करता है।

सोमवार, 14 अगस्त 2017

कवियों ने प्रस्तुत की देशभक्ति कविताएँ

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति ने किया काव्य-गोष्ठी का आयोजन


             १४ अगस्त, 2 17 ई० को स्वतंत्रता दिवस एवं श्रीकृष्ण जन्माटष्मी की पूर्व संध्या पर, 'राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, मुरादाबाद' की ओर से एक काव्य-गोष्ठी का आयोजन, विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार, मुरादाबाद में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. मीना कौल ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री रमेश चन्द्र गुप्ता रहे। सरस्वती वन्दना रामसिंह 'निशंक' ने प्रस्तुत की एवम् संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया।



             रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से विभिन्न सामाजिक मुद्दों को सशक्त रूप से उठाया। साथ ही देशभक्तिपूर्ण रचनाओ से श्रोताओं को मुग्ध कर लिया। अशोक 'विद्रोही', राजीव 'प्रखर', रामसिंह 'निशंक', रामेश्वर वशिष्ठ, कृपाल सिंह धीमान, जय प्रकाश विश्नोई, वीरेन्द्र सिंह 'बृजवासी', डॉ. अम्बरीश गर्ग, रघुराज सिंह 'निश्चल', यगेन्द्रपाल विश्नोई, ओंकार सिंहल'ओंकार', डॉ. मीना कौल, रमेश गुप्ता एवम् रमेश यादव 'कृष्ण' ने काव्य पाठ किया। डॉ. अम्बरीश गर्ग द्वारा आभाराभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

रविवार, 6 अगस्त 2017

मैं आँखों की सुन लूँगा, तुम आँखों से बोलो

हिन्दी साहित्य संगम की कवि-गोष्ठी में रचनाकारों ने किया काव्यपाठ

       दिनांक 6 अगस्त, 2017 को हिन्दी साहित्य संगम की माह अगस्त की काव्य-गोष्ठी, आकांक्षा विद्यापीठ, मिलन विहार, मुरादाबाद  में सम्पन्न हुई, जिसमें कविगणों ने विभिन्न ज्वलंत विषयों को अपने काव्य-पाठ के माध्यम से उठाया। राजीव 'प्रखर' ने अपने दोहे में कहा "किस मुख से तू पीटता, आज़ादी का ढोल। जा मिठ्ठू का पिन्जरा, सबसे पहले खोल।


      "प्रदीप शर्मा 'विरल' ने "शब्द न मन के कोई भी तुम, होठों से बोलो। मैं आँखों की सुन लूँगा, तुम आँखों से बोलो। "आशुतोष कुलश्रेष्ठ ने "राखी का बंधन इतना सुदृढ़, भाई बहिन का प्यार। बहिना बाँधे भाई के राखी, देती उसे दुलार। मोनिका शर्मा 'मासूम' ने "सीने में आईने के तू झाँका नहीं कभी। इसने भी राज़े दिल, कोई खोला नहीं कभी ।" हेमा तिवारी भट्ट ने "रिश्तों में बड़ा रिश्ता भाई। प्रिय बहन को होता भाई। उपदेशक रक्षक है भाई, मित्र कभी जनक है भाई।" रामसिंह निशंक ने"आता इक दिन साल मे, रक्षाबन्धन पर्व। हम सबको इस पर सदा, होना चाहिये गर्व।" 

       विकास मुरादाबादी ने "आओ मिलकर बात करें हम, स्वयं को नेक बनाने की। बात करें भारत समाज को, आओ एक बनाने की।" रामदत्त द्विवेदी ने "पास सभी कुछ था उसके पर, फिर भी चैन न मन को था। स्थिति ऐसी बनी न तन पर, कोई वस्त्र कफ़न को था।" रामेश्वर वशिष्ठ ने "आया सावन झूम के, झूलें चमकें खूब।" डॉ. मीना कौल ने "हम हवाओं में विष मत घोलो। सोचो, समझो, परखो, बोलो।" ओंकार सिंह ओंकार ने "आदमी को आदमी से, दुश्मनी क्यों हो गई। इस क़दर मुश्किल जहाँ में, ज़िन्दगी क्यों हो गई।" सतीश 'सार्थक' ने "तेरे मेरे जीवन की ये, कैसी अमिट कहानी रे। सुन्दर-सुन्दर प्यारी-प्यारी, कैसी शाम सुहानी रे।"

        कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि श्री सतीश 'सार्थक' एवम् विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रामेश्वर वशिष्ठ तथा डॉ. मीना कौल मंचासीन रहीं। माँ शारदे की वंदना श्री सतीश 'सार्थक' ने प्रस्तुत की एवम् संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया। संस्था के अध्यक्ष, श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभाराभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

मंगलवार, 18 जुलाई 2017

हिन्दी साहित्य संगम की कवि-गोष्ठी में रचनाकारों के व्यक्त किए हृदय के भाव

"...और कफ़न पर लग गया, भैया अब तो टैक्स।"

             दिनांक 2 जुलाई, 2017 को हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कॉलेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया। सरस्वती वंदना श्री राम सिंह नि:शंक ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री के. पी. सिंह 'सरल' ने की। मुख्य अतिथि श्री योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ जी रहे। कार्यक्रम का संचालन संगठन के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली द्वारा किया गया।


 
               कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार किया। जी.एस.टी. के संदर्भ में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा, "बातें महँगी हो गयीं, कोई नहीं रिलैक्स। और कफ़न पर लग गया, भैया अब तो टैक्स।", रामसिंह निशंक ने वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए "आई ऋतु पावस की, छाये हैं काले घन। बरखा की फुहार में, प्रमुदित हैं सबके मन।", के. पी. सिंह सरल  ने जी.एस.टी. के संदर्भ में कहा "कुछ चीजें महँगी हुईं,  कुछ पर मिला रिलेक्स। ज्योतिष पर भी लग गया, गुरु शानि का टैक्स।", राजीव प्रखर ने "जात-पात और भेदभाव से, अब लड़ने की बारी है। उठो साथियों आजादी की जंग अभी भी जारी है।", रामदत्त द्विवेदी ने "इन्सानों का इन दिनों नहीं हो रहा नाश। अपितु हिंदुस्तानियत की है घुटती सांस।", ओंकार सिंह ओंकार ने "तपाकर खुद को सोने सा निखारना कितना मुश्किल है, खुद अपनी जिंदगी पुरनूर करना कितना मुश्किल है।", श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ "ईश तुम्हें अर्पण करने को, लाया हूँ कुछ प्रेम सुमन। सुगंध ढूंढ रहा हूँ मधुमय,  फिरता हूँ उपवन-उपवन", योगेंद्रपाल सिंह विश्नोई ने "कुछ नहीं है तो बस नाम ही नाम है, दुनियादारी है तो सैंकड़ों काम हैं। हर किसी को लगी है कमी वक्त की, वक्त का जो धनी वह ही धनवान है।", वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, कहने भर को भाई-भाई, इक-दूजे के भगवानों की, महिमा फूटी आँख में भाई।", शशि त्यागी ने "नाम कमाने को इस जग में कहो न वंदेमातरम्। मन के भीतर भावों के संग होगा वंदेमातरम्।", "हेमा तिवारी भट्ट ने "दलित भले ही सब कहें, है दलहित की बात। राजनीति में जीत की, चाबी समझो जात।"

शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

रिमोट का खेल - डॉ. राकेश चक्र 



पुस्तक परिचय


कृति : रिमोट का खेल (बाल गीत -संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : डॉ. राकेश 'चक्र'
90-बी, शिवपुरी, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09456201857
संशोधित संस्करण : 2016 ई.
पृष्ठ : 32
मूल्य : 50 रुपये
मुद्रक : एस. के. ऑफसेट्स,
दिलशाल गार्डन, दिल्ली- 110005
प्रकाशक : हरे कृष्णा प्रकाशन
 90-बी, शिवपुरी, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
शब्द संयोजन: मुस्कान कम्प्यूटर्स, दिल्ली 


REMOTE KA KHEL BY DR. RAKESH 'CHAKRA'



बुधवार, 5 जुलाई 2017

श्रीमती मोनिका शर्मा मासूम

परिचय- श्रीमती मोनिका शर्मा 'मासूम'

मोनिका शर्मा मासूम
नाम : मोनिका शर्मा
उपनाम : मासूम
जन्मतिथि : 17/09/1978
जन्म स्थान : आज़ादपुर,  दिल्ली
पिता का नाम : स्व० श्री विनोद शर्मा
माता का नाम : श्रीमती ऊषा शर्मा
पति का नाम : श्री विजय शर्मा
शिक्षा : स्नातक,  दिल्ली विश्वविद्यालय
अभिरूचि (हॉबी) : पुस्तकें पढ़ना,  और लिखना
सम्प्रति : गृह संचालिका
प्रकाशन : इन्टरनेट पत्रिकाओं और समाचार पत्रों आदि में रचनाओं का प्रकाशन 
लेखन की विधाएँ : गज़ल, कविताएँ,  मुक्तक, लघु कथाएँ इत्यादि 
पता : फ्रेंडज़ कॉलोनी,  चन्द्र नगर,  मुरादाबाद
सम्पर्क सूत्र : 8272833389, 9045116605
ई मेल : ms6257996@gmail.com

Monika sharma
Monika Sharma Masoom

श्रीमती हेमा तिवारी भट्ट

परिचय- श्रीमती हेमा तिवारी भट्ट

हेमा तिवारी भट्ट
नाम : हेमा तिवारी भट्ट
जन्मतिथि : 08 अक्टूबर, 1978
जन्म स्थान : कैहड़गाँव(अल्मोड़ा)
पिता का नाम : स्व. श्री के.डी.तिवारी
माता का नाम : श्रीमती सरस्वती देवी
पति का नाम : श्री गिरीश चंद्र भट्ट
शिक्षा : एम.ए.(अंग्रेजी), बी.एड.,वि.बी.टी.सी.
अभिरूचि (हॉबी) : पढ़ना, पढ़ाना, सामाजिक कार्य व लेखन
सम्प्रति : शासकीय अध्यापिका, प्र. अ. जिला अमरोहा
लेखन की विधाएँ : लेख, कविता (छन्द मुक्त, छन्द बद्ध दोनों प्रकार), लघुकथा, कहानी, समीक्षा
प्रकाशन : विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में तथा इन्टरनेट पर रचनाओं का प्रकाशन 
सम्मान : विभिन्न मंचों पर व विभिन्न संस्थाओं द्वारा साहित्यिक,सामाजिक एवं सांस्कृतिक सक्रियता हेतु सम्मानित
सम्बद्धता : हिन्दी साहित्य संगम, राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति तथा सर्व प्रयास संस्था से सदस्य के रूप
पता : अलकनंदा बैंक कॉलोनी, खुशहाल पुर,थाना मझोला,मुरादाबाद
सम्पर्क सूत्र : 9720399413
ई-मेल : bhatthema3@gmail.com


Hema Tiwari Bhatt

गुरुवार, 29 जून 2017

हमारे महापुरुष - श्री जितेन्द्र कुमार जौली



पुस्तक परिचय


कृति :  हमारे महापुरुष (जीवनी-संग्रह)
सर्वाधिकार : लेखक
लेखक : श्री जितेन्द्र कुमार जौली
                अम्बेडकर नगर, गांगन का पुल, दिल्ली रोड, 
                पोस्ट लांकड़ी फाजलपुर,मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
                 मोबाइल : 09358854322
संस्करण : प्रथम  (1000 प्रतियाँ)
प्रकाशन वर्ष : 2017 ई.
पृष्ठ : 56
मूल्य : 30 रुपये
प्रकाशक :  अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ, 
                मुख्यालय :  सिविल लाइन्स, मुरादाबाद (उ.प्र.)
शब्द संयोजन :  मेहदी ग्राफिक्स,
                प्रिंस रोड, मुगलपुरा, मुरादाबाद  (उ.प्र.)


HAMARE MAHAPURUSH   BY JITENDRA KUMAR JOLLY


वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी का गीत : रिश्ते रूठ गए रिश्तों से

रिश्ते रूठ गए रिश्तों से 


रिश्ते रूठ गए रिश्तों से,
प्यार भरा दर्पण चटका है,
होठों की मुस्कान खो गई,
उच्चारण भटका भटका है ।

नैतिकता का भान नहीं है,
सम्बन्धों का ज्ञान नहीं है,
लगता है पावन रिश्तों की,
मानव कॊ पहचान नहीं है,
किस पल कौन तोड़ दे रिश्ता,
हर पल ही रहता खटका है ।
रिश्ते रूठ गए...............

केवल तीन बार कहने से,
रिश्तों का अस्तित्व खो रहा,
अहम, वहम, माया के मद में,
दुर्बल तम व्यक्तित्व हो रहा,
महलों में पलते बच्चों  कॊ,
सड़कों पर लाकर पटका है ।
रिश्ते रुठ गए..............

उसने प्यार बनाया केवल,
नफ़रत तो हमने पाली है ,
झूठा भात साफ करने  कॊ,
ठुकरा दी सच की थाली है।
आसमान से गिर खजूर में,
खुद ही तो आकर अटका है ।
रिश्ते रूठ गए................

रिश्तों कॊ झुठ्लाने वाले,
सब धर्मों में भरे पड़े  हैं ,
अल्प ज्ञान की गागर लेकर,
जहाँ खड़े थे, वहीं खड़े हैं,
आशीषों का अमृत खो कर,
अभिशापों का बिष गट्का है।
रिश्ते रूठ गए.............

रिश्ते तो नाजुक होते हैं,
ऐसे नहीं निभाए जाते,
घर कॊ रौशन करने वाले,
दीपक नहीं बुझाये जाते।
उसे खुदा क्या माफ करेगा ?
दिल कॊ जो देता झटका है ।
रिश्ते रूठ गए...............

-वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी' 
मुरादाबाद ,उ.प्र.
सम्पर्क सूत्र : 09719275453

शनिवार, 24 जून 2017

ज्योति हिन्दुस्तान की - श्री फक्कड़ मुरादाबादी



पुस्तक परिचय


कृति : ज्योति हिन्दुस्तान की (देशभक्ति गीत-संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : श्री फक्कड़ मुरादाबादी
 रामगंगा विहार कालोनी, 1-2, बसेरा नगर सहकारी समिति, 
निकट विल्सोनिया डिग्री कालिज, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09410238638
संस्करण : प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2013
पृष्ठ : 16
मूल्य : देश प्रेम
प्रकाशक : सागर तरंग प्रकाशन,
डी-12, अवंतिका कालोनी, एम.डी.ए., मुरादाबाद (उ.प्र.)
मोबाइल : 9411809222


JYOTI HINDUSTAN KI BY FAKKAR MORADABADI



आजादी के दीवाने - श्री फक्कड़ मुरादाबादी



पुस्तक परिचय


कृति : आजादी के दीवाने (देशभक्ति गीत-संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : श्री फक्कड़ मुरादाबादी
 रामगंगा विहार कालोनी, 1-2, बसेरा नगर सहकारी समिति, 
निकट विल्सोनिया डिग्री कालिज, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09410238638
संस्करण : प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2014
पृष्ठ : 16
मूल्य : देश प्रेम
प्रकाशक : सागर तरंग प्रकाशन,
डी-12, अवंतिका कालोनी, एम.डी.ए., मुरादाबाद (उ.प्र.)
मोबाइल : 9411809222


AAZADI KE DEEWANE BY FAKKAR MORADABADI




सौगंध देश की माटी की - श्री फक्कड़ मुरादाबादी



पुस्तक परिचय


कृति : सौगंध देश की माटी की (देशभक्ति गीत-संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : श्री फक्कड़ मुरादाबादी
 रामगंगा विहार कालोनी, 1-2, बसेरा नगर सहकारी समिति, 
निकट विल्सोनिया डिग्री कालिज, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09410238638
संस्करण : प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2015
पृष्ठ : 16
मूल्य : देश प्रेम
प्रकाशक : सागर तरंग प्रकाशन,
डी-12, अवंतिका कालोनी, एम.डी.ए., मुरादाबाद (उ.प्र.)
मोबाइल : 9411809222


SAUGANDH DESH KI MATI KI BY FAKKAR MORADABADI




चंदन है इस देश की माटी  - श्री फक्कड़ मुरादाबादी



पुस्तक परिचय


कृति : चंदन है इस देश की माटी (देशभक्ति गीत-संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : श्री फक्कड़ मुरादाबादी
 रामगंगा विहार कालोनी, 1-2, बसेरा नगर सहकारी समिति, 
निकट विल्सोनिया डिग्री कालिज, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09410238638
संस्करण : प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2016
पृष्ठ : 16
मूल्य : देश प्रेम
प्रकाशक : सागर तरंग प्रकाशन,
डी-12, अवंतिका कालोनी, एम.डी.ए., मुरादाबाद (उ.प्र.)
मोबाइल : 9411809222


CHANDAN HAI IS DESH KI MATI BY FAKKAR MORADABADI




भानुमति ने कुनबा जोड़ा  - श्री फक्कड़ मुरादाबादी



पुस्तक परिचय


कृति : भानुमति ने कुनबा जोड़ा  (हास्य-व्यंग, मुक्तक- संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : श्री फक्कड़ मुरादाबादी
 रामगंगा विहार कालोनी, 1-2, बसेरा नगर सहकारी समिति, 
निकट विल्सोनिया डिग्री कालिज, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09410238638
संस्करण : प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2014
पृष्ठ : 112
मूल्य : 150 रुपये
प्रकाशक : सागर तरंग प्रकाशन,
डी-12, अवंतिका कालोनी, एम.डी.ए., मुरादाबाद (उ.प्र.)
मोबाइल : 9411809222


BHANUMATI NE KUNBA JOORA BY FAKKAR MORADABADI



हमारे महापुरुष का किया गया लोकार्पण 

जितेन्द्र कुमार जौली की  पुस्तक 'हमारे महापुरुष' का किया गया लोकार्पण 

            दिनांक 26 मार्च, 2017 को अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ की एक बैठक सिविल लाइन्स, मुरादाबाद स्थित डॉ0 अम्बेडकर पार्क में आयोजित की गई। बैठक में अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ द्वारा प्रकाशित एवं जितेन्द्र कुमार जौली द्वारा लिखित पुस्तक 'हमारे महापुरुष' (जीवनी संग्रह) का लोकार्पण किया गया। 


            पुस्तक के सम्पादक एवं संघ के राष्ट्रीय महासचिव श्री महेंद्र पाल सिंह ने बताया कि हमारी नई पीढ़ी को यह मालूम नहीं कि हमारे लिए किसने क्या किया है? यह पुस्तक नई पीढ़ी को हमारे महापुरुषों के जीवन परिचय एवं त्याग से परिचित कराएगी।


             संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दौलत सिंह ने बताया कि अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ के तत्वावधान में दिनांक 9 अप्रैल,  2017 को प्रातः 11:00 बजे से चित्रगुप्त  इण्टर कॉलेज, मुरादाबाद में 'डाॅ0 अम्बेडकर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता' का आयोजन किया जाएगा। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगियों को तैयारी हेतु 'हमारे महापुरुष' पुस्तक प्रदान की जाएगी। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए संघ के प्रमुख पदाधिकारियों से सम्पर्क कर सकते हैं। प्रतियोगिता का प्रभारी जितेन्द्र कुमार जौली को बनाया गया है।

             बैठक में समाज में होने वाली दलित विरोधी घटनाओं की जानकारी संघ को उपलब्ध कराने के लिए एक कमेटी बनाई गई। जिसका प्रभारी श्री जयपाल सिंह को बनाया गया तथा सहयोग के लिए श्री मुकेश कुमार गौतम तथा गुलजारी सिंह को नामित किया गया।

             बैठक में श्री दौलत सिंह, महेन्द्र पाल सिंह, मुकेश कुमार गौतम, महावीर प्रसाद मौर्या, जितेन्द्र कुमार जौली, जयपाल सिंह, कृष्णपाल सिंह, जगदीश चंद्र, राजेश कुमार, हरगोविंद सिंह, राम सिंह गौतम, ग्रंथ सिंह, बी0 एस0 भारती, तारा सिंह, बाली सिंह भारती, भयंकर सिंह बौद्ध, करन सिंह, रविन्द्र सिंह, राजेंद्र चौधरी, भारत सिंह आदि ने भाग लिया।

सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

मतदाता जागरूकता के नाम रही हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की  फरवरी माह की कवि गोष्ठी 

दिनांक 5 फरवरी, 2017 को साहित्यिक संस्था, 'हिन्दी साहित्य संगम' की मासिक काव्य-गोष्ठी, आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में सम्पन्न हुई l
काव्य-गोष्ठी का शुभारम्भ, अतिथियों द्वारा माँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं  श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वन्दना से हुआ l



काव्य गोष्ठी में उपस्थित कवियों ने अपने उद्गार कुछ इस प्रकार व्यक्त किया-

जितेन्द्र कुमार "जौली'-
"जिन नेताओं के दिल में,
भरा हुआ है खोट l
उन्हें कभी मत दीजिए,
अपना कीमती वोट"l

राजीव 'प्रखर' -
"आज़ादी के बाद की,
कैसी यह तस्वीर l
कदम-कदम पर बिक रहे,
भारत के रणधीर "l

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' -
"लोकतंत्र मजबूत हो,
बने अलग पहचान l
जाति-धर्म सब भूलकर,
करें सभी मतदान"l

हेमा तिवारी भट्ट -
"ग्रीष्म, शीत, वर्षा, हेमन्त, 
शिशिर का, मनमोहन कंत,
सखि आया बसंत"l

रामदत्त द्विवेदी -
"पीले-पीले फूलन को,
छत्तर धरायो सिर"l

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ-
"आई हवा बसंती,
प्रणय-गीत लेकर"l

ओंकार सिंह 'ओंकार'-
"संगठन का काम करती थी सियासत अब मगर,
तोड़ना ही तोड़ना है, जोड़ना कुछ भी नहीं"l

योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई -
"हँसते-हँसते भी आँखों में,
आँसू आ जाते हैं l
रोने वाले भी जीवन का,
सुख पा जाते हैं"l

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की l मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ रहे l कार्यक्रम का संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया l अंत में संस्था के अध्यक्ष, श्री रामदत्त द्विवेदी ने, सभी का आभार व्यक्त किया l

शनिवार, 14 जनवरी 2017

मकर संक्रान्ति के नाम रही राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की काव्य गोष्ठी

सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत


             दिनाँक 14 जनवरी, 2017 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से विश्नोई धर्मशाला,  लाइनपार, मुरादाबाद में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर आयोजित इस कार्यक्रम में खिचड़ी भोज भी कराया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी जी ने सरस्वती वंदना से किया। 

काव्य पाठ करते हुए वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'


            काव्य गोष्ठी में उपस्थित कवियों ने अपने उद्गार कुछ इस प्रकार व्यक्त किया-

रघुराज सिंह 'निश्चल' -
"यह शीत प्राण की लेवा है, यह शीत बड़ी दुखदाई है।
कितने ही इससे जूझ रहे, कितनों ने जान गवाई है।।"

रामसिंह 'निःशंक' -
"हम क्या से क्या हैं हो गये
क्या से क्या होंगे अभी।
प्रश्न है यह विचारणीय
आओ विचारें मिलकर सभी।।"

अशोक विश्नोई -
"जिस हृदय में वेदना संवेदना नहीं,
सही मायने में वह इन्सान नहीं।।"

कृपाल सिंह धीमान -
"कुछ न पूछो हाल बदतर और बदतर हो रहा है। 
बेवफा कुदरत हवाएं और बाधक हो रहा है।।"

के0 पी0 सिंह 'सरल' -
"धर्म कर्म का साथ है सदा से ही प्यारा सदा से ही प्यारा।
जीवन के मूल्यों को परखना है कर्तव्य हमारा।।"

योगेंद्र वर्मा 'व्योम' - 
"कुहरे ने जब धूप पर, पायी फिर से जीत।
सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत।।" 

विवेक 'निर्मल' - 
"लम्हा लम्हा घटी जिंदगी 
हादसों से कटी जिंदगी 
राजपथ स्वप्न था ही नहीं 
कर्म पथ पर डटी जिंदगी।"

ओंकार सिंह 'ओंकार' - 
"रात अंधेरी में से ही तो भोर नई फूटेगी 
घोर निराशा में से आशा जीवन में उतरेगी" 

वीरेंद्र सिंह 'ब्रजवासी' - 
"दूर हुई थाली से रोटी, 
पेट हवा से भर लेना। 
आज नहीं कल पा जाओगे, 
थोड़ा धीरज धर लेना।।"

जितेन्द्र कुमार 'जौली' -
"घोटाले करके हुए, ये तो मालामाल। 
नेताओं ने कर दिया, बुरा देश का हाल।।"

रामदत्त द्विवेदी - 
"अब चुनाव के वास्ते, निश्चित अगला माह।
सभी करें मतदान हम, मन में भर उत्साह।।"

मनोज 'मनु' -
"त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे
 हर हर गंगे... हर हर गंगे...
 पाप विनाशिनी शुभ्र विहंगे
हर हर गंगे... हर हर गंगे..."

डॉ0 प्रेमवती उपाध्याय -
"चंदन है इस देश की माटी,
आओ नमन करें
शत-शत नमन करें,
आओ नमन करें"

जय प्रकाश विश्नोई -
"अनमोल तेरा जीवन तू यूँ ही गवाँ रहा है। 
किस ओर तेरी मंजिल किस ओर जा रहा है।।"

अशोक कुमार 'विद्रोही' -
"चहूँ दिशि फैली कीर्ति तुम्हारी
चहुँ दिशि फैलाया आनन्द
श्रद्धा सुमन समर्पित तुमको
 शत-शत नमन विवेकानन्द" 

टेकचंद शर्मा -
"मुझको यकीं है सच कहती थीं, 
जो भी अम्मी कहती थीं।
वह मेरे बचपन के दिन थे, 
चाँद में परियाँ रहती थीं।।"

             कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रमेश चन्द्र यादव कृष्ण ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार  रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राम सिंह निःशंक ने किया।

             कार्यक्रम में योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, अतर सिंह, चिन्तामणि शर्मा, प्रतीक बंसल, सुभाष चन्द्र शर्मा, काली चरन सिंह, दयाराम पुरुषार्थी, जयप्रकाश विश्नोई, महेन्द्र पाल गुप्ता, राकेश जैसवाल आदि लोग उपस्थित रहे।

सोमवार, 2 जनवरी 2017

नववर्ष के नाम रही हिन्दी साहित्य संगम की कवि-गोष्ठी

नववर्ष के नाम रही हिन्दी साहित्य संगम की कवि-गोष्ठी

            दिनाँक 1 जनवरी, 2017 को मुरादाबाद की पिछले पाँच दशकों से सक्रिय संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार मुरादाबाद आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कॉलेज,  मुरादाबाद में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मांँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया। इसके पश्चात श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी जी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने की। मुख्य अतिथि श्री अम्बरीष गर्ग, अति विशिष्ट अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री रामदत्त द्विवेदी रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राजीव 'प्रखर' ने किया।

काव्य पाठ करते हुए मनोज मनु

              गोष्ठी में विभिन्न रचनाकारों ने निम्न प्रकार अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी -

जितेन्द्र कुमार 'जौली'-
"नोटबन्दी में पिस रहा, भारत का मजदूर।
रोज़गार उससे हुआ, अब तो कोसों दूर।। "

राजीव 'प्रखर' -
"इक पौधा रोंपा क्यारी में,
मुझको भी यह एहसास हुआ।
जो अचल-अटल-अविनाशी है,
वह कितना मेरे पास हुआ।।",

विकास मुरादाबादी -
"खैरियत हो बूढ़े जवान और बाल की।
सबको ही शुभकामनाएं नये साल की।।"

वीरेन्द्र सिंह 'बृजवासी-
"दूर हुई थाली से रोटी,
पेट हवा से भर लेना।
आज नहीं कल पा जाओगे,
थोड़ा धीरज धर लेना।।"

राम सिंह 'निशंक' -
"हो सत्रह मुबारक वर्ष आपको।
है प्रणाम मेरा सहर्ष आपको।।"

अशोक विश्नोई -
"परस्पर कुछ समझाने को निकट बैठें।
शेष जो भी हैं, उसी पर न ऐंठें।।"

विवेक 'निर्मल -
"आठ पहर में पल दो पल ही,
खुद से बात करें।"

शिशुपाल 'मधुकर' -
"सुनो-सुनो ऐ नये साल,
तुम मेरे घर भी आना।
औरों को इतना देते,
कुछ मुझको भी दे जाना।।"

मनोज वर्मा 'मनु' -
"जीवन हो सुख से भरा,
होवें सतत् विकास।
आपस में जीवित रहें,
मान, हास-परिहास।।"

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' -
"रहे आपको मंगलकारी यह शुभ नया नवेला वर्ष।
सुख के ढेर लगें आंगन में, घर में करे बसेरा बर्ष।।"

प्रदीप शर्मा 'विरल' -
"बड़े मनचले वो सँवरते नहीं हैं।
हमें देखकर अब लरजते नहीं हैं।।"

के. पी. सिंह 'सरल'-
"नव वर्ष मुबारक हो सबको,
यह खुशियों का संचार करे।"

डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ -
"मुसाफ़िर हूँ इक अनजानी डगर का,
कुछ अंदाज़ा नहीं होता सफ़र का।
वो जिसने ज़िन्दगी भर छाँव बाँटी,
मैं पत्ता हूँ उसी बूढ़े शजर का।।"

ओंकार सिंह 'ओंकार' -
"रोज़गार पाने को एड़ियाँ रगड़ता है।
नौजवान इस युग का, दर-ब-दर भटकता है।।"

रामदत्त द्विवेदी -
"अगर चाहते विश्व में,
भारत दिखे सशक्त।
तो विकास की सीट पर,
बैठे शिक्षित शख़्स।।" 

हेमा तिवारी भट्ट -
"इस जीवन में छोड़नी,
हो जो गहरी छाप।
जग सुधारें बाद में,
पहलें सुधरें आप।।"

अम्बरीष गर्ग -
"कुर्सियों के पाँव ही छूते रहे।
आदमी से हम अछूते ही रहे।।"

डॉ. प्रेमवती उपाध्याय -
"सबके हित में रहे वर्ष यह, 
सबका हो उत्कर्ष।
द्वेष-द्रोह की अग्नि शान्त हो,
हर मन में हो हर्ष।।"

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ -
"आ रहा है साल नया,
सोचकर फ़ैसला कीजिये।"

          अंत में संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की दिसम्बर माह की काव्य गोष्ठी

काव्य गोष्ठी में बही रसधारा

            दिनाँक 14 दिसम्बर, 2016 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की मासिक काव्य एवम् विचार गोष्ठी  विश्नोई धर्मशाला, लाईन पार, मुरादाबाद में आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री सतीश 'फ़िगार' रहे। माता सरस्वती की वंदना डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने प्रस्तुत की तथा संचालन श्री रामसिंह 'निशंक' ने किया।
             गोष्ठी में विभिन्न रचनाकारों ने निम्न प्रकार अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी -

रघुराज सिंह निश्चल -
"आओ हम सुदृढ़ करें,
भारत माँ के हाथ।
दें, भारत-हित के लिये,
मोदी जी का साथ।।"

रामसिंह 'निशंक' -
"स्वच्छ रखो वातावरण,
रक्खो स्वच्छ विचार।
प्रदूषण से मुक्ति मिले,
सुखी बने संसार ।।"

राजीव 'प्रखर' -
"हिन्दी, उर्दू दोनों से ही,
यूँ जगमग जग सारा है।
जैसे दो माँओं का आँचल,
कान्हा जी को प्यारा है।।"

डॉ. प्रेमवती उपाध्याय -
"ओ मेरे मनमीत आओ,
साँझ का छाया धुँधलका,
मुख मलिन होता कमल का, नीड़ में लौटे पखेरू,
शोर मस्जिद में अजाँ का,
आज फिर तुम संग मेरे,
आरती का गीत गाओ।"

ओंकार सिंह 'ओंकार' -
"रोज़गार पाने को ऐड़ियाँ रगड़ता है,
नौजवान इस युग का, दर-बदर भटकता है।"

सतीश फ़िगार -
"आपसी मतभेद सारे,
भूलकर सोचें सभी।
देश के निर्माण की औ,
राष्ट्र के उत्थान की।।"

हेमा तिवारी भट्ट -
"इश्क़ में हमारे वो मुकाम आ गया।
अपना कहा, मगर उनका नाम आ गया।।"

अशोक 'विद्रोही' -
"देख लो मोदी तुम्हारे देश में,
आज लगतीं पंक्तियां परिवेश में।"

मनोज 'मनु' -
"सबके अनुभव अलग-अलग, जीवन के बारे में।
कभी किसी को अनायास सब कुछ मिल जाता है।
और किसी का किया धरा, माटी मिल जाता है।
संभवत: जो लिखा राम ने, भाग-सितारे में,
सबके अनुभव अलग-अलग, जीवन के बारे में।"

रामदत्त द्विवेदी -
"पूछो क्या सरकारी रिश्ता,
हुआ है साथ कलंकी के।"

प्रदीप शर्मा 'विरल' -
"सुन्दर उपवन में कैसे पंछी इठलाते हैं।
कलियाँ झूमें मस्ती में,
भंवरे गुंजाते हैं। "

पुष्पेन्द्र वर्णवाल -
"अपनों के गाँव हो रहे हैं,
कांव-कांव-कांव हो रहे हैं।"

इसके अतिरिक्त वरिष्ठ साहित्यकार श्री रमेश यादव 'कृष्ण' व श्री रमेश गुप्ता ने समाज-उत्थान पर आधारित सुन्दर व्याख्यान दिया। आभाराभिव्यक्ति संस्था के संरक्षक श्री योगेन्द्र पाल विश्नोई ने दी।

हिन्दी साहित्य संगम ने किया अम्बरीष गर्ग को सम्मानित 

अम्बरीष गर्ग को किया गया सम्मानित 

                दिनाँक 4 दिसम्बर, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कॉलेज मिलन विहार, मुरादाबाद में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संस्था के संस्थापक स्वर्गीय श्री राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग जी की तृतीय पुण्यतिथि पर उनकी पावन स्मृति में मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार श्री अम्बरीष गर्ग जी को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति साहित्य साधक सम्मान' से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें स्मृति चिन्ह, मानपत्र, शॉल, श्रीफल एवं नकद राशि प्रदान की गई। सम्मान की प्रक्रिया के पश्चात कवि-गोष्ठी प्रारम्भ हुई। 



               कवि गोष्ठी में रचनाकारों ने नोटबंदी पर अपना दर्द कविता के माध्यम से व्यक्त किया। योगेन्द्र वर्मा व्योम ने "तन पर, मन पर, पेट पर, पड़ी समय की चोट। दिन भर लाइन में लगे, फिर भी मिले न नोट।। समझ नहीं है आ रहा, आह कहें या वाह। चिढ़ा रही है मुँह हमें, खाते में तनख्वाह।।" जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा "हिंसा करनी छोड़ दे, कर तू सबसे प्यार। बातों से है जो मरे, लात उसे मत मार।।

              कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 अजय अनुपम ने की मुख्य अतिथि योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि ओंकार सिंह 'ओंकार' रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ राजीव प्रखर द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया और कार्यक्रम के अन्त में आभार संस्था के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी ने व्यक्त किया।

             कार्यक्रम में फक्कड़ मुरादाबादी, के0 पी0 सिंह सरल, योगेन्द्र वर्मा व्योम,  जितेन्द्र कुमार जौली,  हेमा तिवारी भट्ट, अशोक विद्रोही, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, अल्पना शर्मा, दीपक मिश्रा, प्रदीप शर्मा, विवेक प्रजापति, डॉ0 मनोज रस्तोगी, ओंकार सिंह ओंकार आदि लोग उपस्थित रहे।