शनिवार, 14 जनवरी 2017

मकर संक्रान्ति के नाम रही राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की काव्य गोष्ठी

सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत


             दिनाँक 14 जनवरी, 2017 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से विश्नोई धर्मशाला,  लाइनपार, मुरादाबाद में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर आयोजित इस कार्यक्रम में खिचड़ी भोज भी कराया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी जी ने सरस्वती वंदना से किया। 

काव्य पाठ करते हुए वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'


            काव्य गोष्ठी में उपस्थित कवियों ने अपने उद्गार कुछ इस प्रकार व्यक्त किया-

रघुराज सिंह 'निश्चल' -
"यह शीत प्राण की लेवा है, यह शीत बड़ी दुखदाई है।
कितने ही इससे जूझ रहे, कितनों ने जान गवाई है।।"

रामसिंह 'निःशंक' -
"हम क्या से क्या हैं हो गये
क्या से क्या होंगे अभी।
प्रश्न है यह विचारणीय
आओ विचारें मिलकर सभी।।"

अशोक विश्नोई -
"जिस हृदय में वेदना संवेदना नहीं,
सही मायने में वह इन्सान नहीं।।"

कृपाल सिंह धीमान -
"कुछ न पूछो हाल बदतर और बदतर हो रहा है। 
बेवफा कुदरत हवाएं और बाधक हो रहा है।।"

के0 पी0 सिंह 'सरल' -
"धर्म कर्म का साथ है सदा से ही प्यारा सदा से ही प्यारा।
जीवन के मूल्यों को परखना है कर्तव्य हमारा।।"

योगेंद्र वर्मा 'व्योम' - 
"कुहरे ने जब धूप पर, पायी फिर से जीत।
सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत।।" 

विवेक 'निर्मल' - 
"लम्हा लम्हा घटी जिंदगी 
हादसों से कटी जिंदगी 
राजपथ स्वप्न था ही नहीं 
कर्म पथ पर डटी जिंदगी।"

ओंकार सिंह 'ओंकार' - 
"रात अंधेरी में से ही तो भोर नई फूटेगी 
घोर निराशा में से आशा जीवन में उतरेगी" 

वीरेंद्र सिंह 'ब्रजवासी' - 
"दूर हुई थाली से रोटी, 
पेट हवा से भर लेना। 
आज नहीं कल पा जाओगे, 
थोड़ा धीरज धर लेना।।"

जितेन्द्र कुमार 'जौली' -
"घोटाले करके हुए, ये तो मालामाल। 
नेताओं ने कर दिया, बुरा देश का हाल।।"

रामदत्त द्विवेदी - 
"अब चुनाव के वास्ते, निश्चित अगला माह।
सभी करें मतदान हम, मन में भर उत्साह।।"

मनोज 'मनु' -
"त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे
 हर हर गंगे... हर हर गंगे...
 पाप विनाशिनी शुभ्र विहंगे
हर हर गंगे... हर हर गंगे..."

डॉ0 प्रेमवती उपाध्याय -
"चंदन है इस देश की माटी,
आओ नमन करें
शत-शत नमन करें,
आओ नमन करें"

जय प्रकाश विश्नोई -
"अनमोल तेरा जीवन तू यूँ ही गवाँ रहा है। 
किस ओर तेरी मंजिल किस ओर जा रहा है।।"

अशोक कुमार 'विद्रोही' -
"चहूँ दिशि फैली कीर्ति तुम्हारी
चहुँ दिशि फैलाया आनन्द
श्रद्धा सुमन समर्पित तुमको
 शत-शत नमन विवेकानन्द" 

टेकचंद शर्मा -
"मुझको यकीं है सच कहती थीं, 
जो भी अम्मी कहती थीं।
वह मेरे बचपन के दिन थे, 
चाँद में परियाँ रहती थीं।।"

             कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रमेश चन्द्र यादव कृष्ण ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार  रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राम सिंह निःशंक ने किया।

             कार्यक्रम में योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, अतर सिंह, चिन्तामणि शर्मा, प्रतीक बंसल, सुभाष चन्द्र शर्मा, काली चरन सिंह, दयाराम पुरुषार्थी, जयप्रकाश विश्नोई, महेन्द्र पाल गुप्ता, राकेश जैसवाल आदि लोग उपस्थित रहे।

1 टिप्पणी:

  1. गान्धी जी ने वर्धा में हिन्दी प्रचार समिति की स्थापना की थी तो मुरादाबाद के कुछ सिरफिरे नवजवानों ने एक क़दम आगे बढ़ाकर राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के गठन का निर्णय लिया और प्रत्येक माह की 14 तारीख़ को विचार गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी की परम्परा प्रारम्भ की।
    मुझे प्रसन्नता हुई यह देखकर कि वह ज्योति आज भी आप लोगों के हृदय में प्रज्ज्वलित है।
    मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ!

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