मंगलवार, 29 जनवरी 2019

जितेन्द्र कमल 'आनंद' और डॉ० मीना कौल को किया गया सम्मानित 

       दिनांक 27 जनवरी, 2019 को अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, मुरादाबाद की ओर से एम० आई० टी० सभागार, मुरादाबाद में एक सम्मान-समारोह एवं परिचर्चा का आयोजन हुआ। समारोह में रामपुर (उ०प्र०) के वरिष्ठ साहित्यकार श्री जितेन्द्र कमल 'आनंद' एवं मुरादाबाद (उ० प्र०) की वरिष्ठ रचनाकार डॉ० मीना कौल (प्राचार्या महाराजा हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज, मुरादाबाद) को क्रमश:  "साहित्य मनीषी सम्मान" एवं "साहित्य सुरसरि सम्मान" से अलंकृत किया गया। 


      दोनों विभूतियों को सम्मान स्वरूप सम्मान-पत्र, अंगवस्त्र, प्रतीक चिह्न एवं श्रीफल भेंट किये गये। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ० रामानंद शर्मा ने की। मुख्य अतिथि डॉ० मक्खन 'मुरादाबादी' एवं विशिष्ट अतिथि डॉ० अजय 'अनुपम', डॉ० चंद्रभान सिंह यादव तथा डॉ० प्रेमवती उपाध्याय रहीं। माँ शारदे की वंदना डॉ० ममता सिंह ने प्रस्तुत की तथा संचालन श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया।

     
     कार्यक्रम में दोनों सम्मानित विभूतियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। तत्पश्चात् "संस्कृति के संरक्षण में साहित्यकार की भूमिका" विषय पर एक परिचर्चा भी हुई। 

      कार्यक्रम में ओंकार सिंह 'विवेक', रघुराज सिंह 'निश्चल', डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़', अशोक विश्नोई, उमाकांत गुप्ता, मंगलेश लता यादव, राजीव 'प्रखर', डॉ० सुगंधा अग्रवाल, राम वीर सिंह वीर, वीरेंद्र 'बृजवासी', शिशुपाल 'मधुकर', श्रीकृष्ण शुक्ल, राम दत्त द्विवेदी, डॉ० मनोज रस्तोगी, डॉ० सरिता लाल, ओंकार सिंह 'ओंकार', हेमा तिवारी, मोनिका 'मासूम', अशोक 'विद्रोही', डॉ० प्रदीप शर्मा, डॉ० तुषार अग्रवाल, विवेक निर्मल, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, ईशांत शर्मा 'ईशू' सहित अनेक साहित्यकार/रचनाकार उपस्थित रहे। अंत में संस्था की मुरादाबाद शाखा की अध्यक्षा डॉ० प्रेमवती उपाध्याय द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुँचा।

रविवार, 6 जनवरी 2019

माँ-बाप की छवि में सदा भगवान को देखा करो


हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी में कवियों ने प्रस्तुत की रचनाएँ

    दिनांक 6 जनवरी, 2019 को साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य संगम' के तत्वावधान में  काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया।
काव्य पाठ करते हुए राजीव प्रखर 

   कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ तथा विशिष्ट अतिथि श्री शिशुपाल 'मधुकर' रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। माँ शारदे की वंदना श्रीमती मोनिका 'मासूम' ने प्रस्तुत की तथा संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया।

      राम सिंह निःशंक ने, "माँ-बाप की छवि में सदा भगवान को देखा करो, अन्तर्मन में छिपे इन्सान को देखा करो।"  जितेन्द्र कुमार जौली ने, "आता सबके काम है, कोई भी हो जोन। जीवन का इक अंग है, अब मोबाइल फोन। राजीव प्रखर ने, "मन की सच्ची भावना, धागों के भी पार। जब समझो तब हो गया, राखी का त्यौहार।।" अशोक विश्नोई ने, "धूप में सोता था, अपने गांव मे, आज! छाले पड़ गए हैं पांव में।" सुनाया।

       काव्य-पाठ के क्रम में आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ', इशांत शर्मा 'ईशु', प्रदीप 'गुल, 'मोनिका 'मासूम', मीनाक्षी ठाकुर, जितेन्द्र कुमार जौली, हेमा तिवारी भट्ट, राजीव प्रखर, के० पी० 'सरल',  राम सिंह 'निशंक', योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', डॉ० मनोज रस्तोगी, अशोक विश्नोई, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, राम दत्त द्विवेदी, शिशुपाल 'मधुकर', रामेश्वर वशिष्ठ एवं ओंकार सिंह 'ओंकार' ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम के अंत में दिवंगत साहित्यकार श्री पुष्पेन्द्र वर्णवाल की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।

शनिवार, 5 जनवरी 2019

वरिष्ठ साहित्यकार पुष्पेन्द्र वर्णवाल के निधन पर आयोजित की गई शोक सभा



      दिनांक 5 जनवरी, 2018 को मुरादाबाद  के वरिष्ठ साहित्यकार श्री पुष्पेन्द्र वर्णवाल के आकस्मिक निधन पर, साहित्यिक संस्थाओं - राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, हिन्दी साहित्य संगम, नवचेतना, विजय श्री वेलफेयर सोसायटी, अक्षरा, जायसी साहित्यिक मंच, काव्य सुधा साहित्यिक मंच, हस्ताक्षर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद आदि की ओर से, लाइन पर स्थित विश्नोई धर्मशाला में शोक सभा हुई।



       इस अवसर पर उपस्थित स्थानीय साहित्यकारों द्वारा दिवंगत साहित्यकार श्री पुष्पेंद्र वर्णवाल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा गया कि श्री पुष्पेंद्र वर्णवाल एक बड़े रचनाकार तो थे ही, प्रखर इतिहासकार एवं पुरातत्त्ववेत्ता भी थे। उन्होंने अनेक खंडकाव्य, महाकाव्य एवं उपन्यास लिखे तथा हिन्दी साहित्य में विगीत नामक नई विधा का प्रवर्तन भी किया। पुष्पेन्द्र जी के निधन से हिन्दी साहित्य की बहुत बड़ी क्षति हुई है, जिसकी प्रतिपूर्ति संभव नहीं है। अंत में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत  साहित्यकार को श्रद्धांजलि दी  गई।

      इस अवसर पर योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, रामेश्वर वशिष्ठ, अनिल कांत, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', राजीव 'प्रखर', डॉ० अजय 'अनुपम', डॉ० प्रेमवती उपाध्याय, अशोक विश्नोई, शिशुपाल 'मधुकर', राम सिंह निशंक, डॉ० मनोज रस्तोगी, डॉ० एम० पी० बादल 'जायसी', रघुराज सिंह 'निश्चल' आदि उपस्थित रहे। शोक सभा का संचालन राम सिंह निशंक ने किया।

बाल साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित किए गए सरस

बाल साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित किए गए सरस

       दिनांक 4 जनवरी, 2019 को नवोदित साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' के तत्वावधान में, मुरादाबाद के वरिष्ठ बाल साहित्यकार श्री शिव अवतार 'सरस' के आवास पर, सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुरादाबाद के अति बुज़ुर्ग साहित्यकारों को उनके जन्मदिन पर, उनके आवास पर सम्मानित किए जाने की श्रृंखला के आरंभ में, मुरादाबाद के वरिष्ठ बाल साहित्यकार श्री शिव अवतार 'सरस' को उल्लेखनीय बाल साहित्य-सृजन के लिए प्रतीक चिन्ह, अंग-वस्त्र, मान-पत्र एवं श्रीफल भेंट कर 'बाल साहित्य साधक सम्मान' से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि डॉ० रामानंद शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि डॉ० मक्खन 'मुरादाबादी' रहे। संचालन योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया एवं आभार-अभिव्यक्ति राजीव 'प्रखर' द्वारा की गई।


       इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों/रचनाकारों ने श्री सरस जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए, उनके साहित्यिक योगदान व समर्पण को व्यक्त किया। श्री सरस जी की प्रकाशित कृतियों में, 'नोंकझोंक', 'अभिनव मधुशाला', 'सरस संवादिकाएं', 'नई उमंग', 'पर्यावरण पचीसी' आदि बाल-साहित्य में काफ़ी चर्चित रही हैं। इस अवसर पर श्री सरस जी ने अपनी कुछ रचनाओं का पाठ भी किया।

       कार्यक्रम में हेमा तिवारी भट्ट, मोनिका 'मासूम', राजीव 'प्रखर' योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', अशोक विश्नोई, डॉ० प्रेमवती उपाध्याय, डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़', श्री विश्व अवतार जैमिनी, काव्य सौरभ रस्तोगी, ओंकार सिंह 'ओंकार', डॉ० अर्चना गुप्ता, श्रीकृष्ण शुक्ल, शिशुपाल मधुकर, रामदत्त द्विवेदी, डॉ० मक्खन 'मुरादाबादी' आदि ने भी काव्य पाठ किया।