रविवार, 6 जनवरी 2019

माँ-बाप की छवि में सदा भगवान को देखा करो


हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी में कवियों ने प्रस्तुत की रचनाएँ

    दिनांक 6 जनवरी, 2019 को साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य संगम' के तत्वावधान में  काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया।
काव्य पाठ करते हुए राजीव प्रखर 

   कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ तथा विशिष्ट अतिथि श्री शिशुपाल 'मधुकर' रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। माँ शारदे की वंदना श्रीमती मोनिका 'मासूम' ने प्रस्तुत की तथा संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया।

      राम सिंह निःशंक ने, "माँ-बाप की छवि में सदा भगवान को देखा करो, अन्तर्मन में छिपे इन्सान को देखा करो।"  जितेन्द्र कुमार जौली ने, "आता सबके काम है, कोई भी हो जोन। जीवन का इक अंग है, अब मोबाइल फोन। राजीव प्रखर ने, "मन की सच्ची भावना, धागों के भी पार। जब समझो तब हो गया, राखी का त्यौहार।।" अशोक विश्नोई ने, "धूप में सोता था, अपने गांव मे, आज! छाले पड़ गए हैं पांव में।" सुनाया।

       काव्य-पाठ के क्रम में आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ', इशांत शर्मा 'ईशु', प्रदीप 'गुल, 'मोनिका 'मासूम', मीनाक्षी ठाकुर, जितेन्द्र कुमार जौली, हेमा तिवारी भट्ट, राजीव प्रखर, के० पी० 'सरल',  राम सिंह 'निशंक', योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', डॉ० मनोज रस्तोगी, अशोक विश्नोई, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, राम दत्त द्विवेदी, शिशुपाल 'मधुकर', रामेश्वर वशिष्ठ एवं ओंकार सिंह 'ओंकार' ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम के अंत में दिवंगत साहित्यकार श्री पुष्पेन्द्र वर्णवाल की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।

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