शनिवार, 10 दिसंबर 2011

श्री वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'

 परिचय-श्री वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'

श्री वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'
जन्मतिथि : 3 जनवरी, 1951
पिता का नाम : स्व0 श्री चूड़ामणि
माता का नाम : स्व0 श्रीमती कमला देवी
पत्नी का नाम : श्रीमती राजेश्वरी
शिक्षा : इण्टरमीडिएट
कार्यक्षेत्र : सेवानिवृत्त कार्यालय अधीक्षक (परिवहन शाखा) उ0 रे0, मुरादाबाद (उ0प्र0)
लेखन की विधाएँ : ब्रजगीत, कविता, मुक्तक, गीत, गज़ल, दोहे, बालगीत
प्रकाशन : आत्म समर्पण (लम्बी कविता), सत्य की राह पर (गीत संग्रह), मन के अंकुर (गीत संग्रह), अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान : संकेत साहित्यिक मंच मुरादाबाद द्वारा 'शब्द भास्कर' सम्मान, सागर तरंग प्रकाशन, मुरादाबाद द्वारा 'शब्द भूषण' सम्मान,
विशिष्ट : कवि सम्मेलनो में काव्य पाठ और मंच संचालन
पता : महिलाल कालोनी, शाहपुर तिगरी रोड, बुद्धि विहार फेस-2, मुरादाबाद (उ0प्र0)
सम्पर्क : 9719275453


हौसले से कदम तो बढ़ा दीजिये

दूर ही से ज़रा मुस्कुरा दीजिये,
बीती बातों को दिल से भुला दीजिये।

राह मुश्किल है लेकिन असंभव नही,
हौसले से कदम तो बढ़ा दीजिये।

कब तलक रूठने की कसम खाई है,
कोई मुद्दत भी हमको बता दीजिये।

दुश्मनी का सबक बन्द करके यहाँ,
प्यार का पाठ सबको सिखा दीजिये।

सिर्फ अपनो की ख़ातिर गरजना ही क्या,
सबकी खातिर बरस कर दिखा दीजिये।

साथ चलना है दिल से चलो उम्र भर,
एक दस्तूर ऐसा बना दीजिये।

-वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'


हुआ टकराव क्यों है?

भावनाओं का हुआ टकराव क्यों है।
आदमीयत का हुआ ठहराव क्यों है॥

सिमट कर छोटा हुआ है क्यों सवेरा।
अंधकारो का हुआ फैलाव क्यों है॥

आदमी क्यों खून का प्यासा हुआ है।
क्रोध में हर व्यक्ति दुर्वासा हुआ है॥

भस्म करने आज चन्दन वनों को,
हर तरफ आग का बिखराव क्यों है॥

क्यों श्रवण से पुत्र अब सोये हुए हैं।
अनुज लक्ष्मन से कहीं खोये हुए हैं॥

मान मर्यादा कलंकित हो रही है,
देह से सत्कर्म का अलगाव क्यों है॥
-वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'
बुद्धि विहार, मुरादाबाद।
VIRENDRA SINGH 'BRAJWASI'

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