सोमवार, 2 जनवरी 2017

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की दिसम्बर माह की काव्य गोष्ठी

काव्य गोष्ठी में बही रसधारा

            दिनाँक 14 दिसम्बर, 2016 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की मासिक काव्य एवम् विचार गोष्ठी  विश्नोई धर्मशाला, लाईन पार, मुरादाबाद में आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री सतीश 'फ़िगार' रहे। माता सरस्वती की वंदना डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने प्रस्तुत की तथा संचालन श्री रामसिंह 'निशंक' ने किया।
             गोष्ठी में विभिन्न रचनाकारों ने निम्न प्रकार अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी -

रघुराज सिंह निश्चल -
"आओ हम सुदृढ़ करें,
भारत माँ के हाथ।
दें, भारत-हित के लिये,
मोदी जी का साथ।।"

रामसिंह 'निशंक' -
"स्वच्छ रखो वातावरण,
रक्खो स्वच्छ विचार।
प्रदूषण से मुक्ति मिले,
सुखी बने संसार ।।"

राजीव 'प्रखर' -
"हिन्दी, उर्दू दोनों से ही,
यूँ जगमग जग सारा है।
जैसे दो माँओं का आँचल,
कान्हा जी को प्यारा है।।"

डॉ. प्रेमवती उपाध्याय -
"ओ मेरे मनमीत आओ,
साँझ का छाया धुँधलका,
मुख मलिन होता कमल का, नीड़ में लौटे पखेरू,
शोर मस्जिद में अजाँ का,
आज फिर तुम संग मेरे,
आरती का गीत गाओ।"

ओंकार सिंह 'ओंकार' -
"रोज़गार पाने को ऐड़ियाँ रगड़ता है,
नौजवान इस युग का, दर-बदर भटकता है।"

सतीश फ़िगार -
"आपसी मतभेद सारे,
भूलकर सोचें सभी।
देश के निर्माण की औ,
राष्ट्र के उत्थान की।।"

हेमा तिवारी भट्ट -
"इश्क़ में हमारे वो मुकाम आ गया।
अपना कहा, मगर उनका नाम आ गया।।"

अशोक 'विद्रोही' -
"देख लो मोदी तुम्हारे देश में,
आज लगतीं पंक्तियां परिवेश में।"

मनोज 'मनु' -
"सबके अनुभव अलग-अलग, जीवन के बारे में।
कभी किसी को अनायास सब कुछ मिल जाता है।
और किसी का किया धरा, माटी मिल जाता है।
संभवत: जो लिखा राम ने, भाग-सितारे में,
सबके अनुभव अलग-अलग, जीवन के बारे में।"

रामदत्त द्विवेदी -
"पूछो क्या सरकारी रिश्ता,
हुआ है साथ कलंकी के।"

प्रदीप शर्मा 'विरल' -
"सुन्दर उपवन में कैसे पंछी इठलाते हैं।
कलियाँ झूमें मस्ती में,
भंवरे गुंजाते हैं। "

पुष्पेन्द्र वर्णवाल -
"अपनों के गाँव हो रहे हैं,
कांव-कांव-कांव हो रहे हैं।"

इसके अतिरिक्त वरिष्ठ साहित्यकार श्री रमेश यादव 'कृष्ण' व श्री रमेश गुप्ता ने समाज-उत्थान पर आधारित सुन्दर व्याख्यान दिया। आभाराभिव्यक्ति संस्था के संरक्षक श्री योगेन्द्र पाल विश्नोई ने दी।

1 टिप्पणी:

  1. राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति मुरादाबाद में अवाध गति से कार्य कर रही है यह जानकर मन को कितनी प्रसन्नता हुई उसे शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।
    पुष्पेन्द्र वर्णवाल जी हमारे समय के साक्षी रहे हैं जब टाउन हाल इनकी कृपा से हमें नि:शुल्क मिल जाया करता था और दिन निकलने तक कविसम्मेलन चला करता था।
    शुभ कामनाएँ!

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