बुधवार, 30 अगस्त 2017

माहेश्वर तिवारी के साहित्य से लोगों ने किया संवाद

          दिनांक 30 अगस्त, 2017 को दैनिक जागरण, मुरादाबाद की ओर से रामगंगा विहार, मुरादाबाद स्थित एम०आई०टी० के सभागार में 'साहित्य से संवाद' नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम यश भारती से सम्मानित मुरादाबाद के सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी जी पर केन्द्रित था। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया।


  
          दैनिक जागरण की ओर से उन्हें सम्मान के रूप में शॉल, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। छात्राओं की ओर से मां शारदे की संगीतमयी वंदना की प्रस्तुति के बाद नवगीतगार माहेश्वर तिवारी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा शुरू हुई। माहेश्वर तिवारी जी ने अपनी  रचनाओं का सस्वर पाठ किया। तिवारी जी ने अपनी कविता 'धूप में जले जब भी पांव घर की याद आई, घर के झूठे बासन बोले सुबह हो गई, डायरी में अंगुलियों के फूल से, नाम लिख गया भूल से' सुनाई। इन कविताओं को सुनकर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। 



         काव्यपाठ के बाद माहेश्वर तिवारी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की शुरुआत साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने की। इसके बाद कृष्ण कुमार नाज, अजय अनुपम, मक्खन मुरादाबादी ने आलेख पढ़े तथा हेमा तिवारी भट्ट ने तिवारी जी के सन्दर्भ में लिखी कविता प्रस्तुत की। शायर मंसूर उस्मानी व जमीर दरवेश ने भी भावपूर्ण ढंग से तिवारी के व्यक्ति्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।



        मंडलायुक्त एल वेंकटेश्वर लू ने कहा कि आधुनिक युग में युवा वर्ग पर नकारात्मक चीजें हावी हो रही हैं। साहित्यकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। इस दौर में जागरण ने बौद्धिक क्षमता के विकास को लेकर नई पहल शुरू की है। ऐसे ही प्रयासों से रचनात्मकता बढ़ेगी और समाज से असमानता दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि समाज और देश को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि जात-पात, छुआ-छूत और गरीबी को दूर करने की मजबूत पहल की जाए। साहित्यकारों को इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए। अपने लेखन से वे समाज को नई दिशा दे सकते हैं और कुरीतियों को खत्म करने में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। उन्होंने माहेश्वर तिवारी की प्रसंशा करते हुए कहा कि अभी तक मैं सिर्फ उनकी कविताओं की चर्चा सुनता था, लेकिन यह पहला मौका है जब उन्हें प्रत्यक्ष रूप से कविता पाठ करते हुए देखा। विशिष्ट अतिथि डीआइजी ओंकार सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में सृजनात्मक क्षमता का विकास थम सा गया है। लोग इधर-उधर की बातों पर अधिक ध्यान देते हैं, जिससे असल मुद्दे गायब हो जाते हैं। हमें युवा पीढ़ी में यह भाव भरने की जरूरत है कि वे देश व समाज को मजबूत बनाने की अपनी जिम्मेदारी समझें।



         उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि दैनिक जागरण के कार्यक्रम में पहली बार इतना जनसमूह देखकर यह महसूस हो रहा है कि साहित्य प्रेमियों की कहीं कमी नहीं है। जागरण के प्रयास की जितनी सराहना की जाए कम है। इससे पहले संपादकीय प्रभारी संजय मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते कहा कि साहित्य से संवाद कार्यक्रम की शुरुआत करने के पीछे दैनिक जागरण का उद्देश्य यहां के साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों को उचित मंच देने का है। मुझे भरोसा है कि आज से शुरू हुई विमर्श की यह परंपरा मजबूती से आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि नवगीतकार माहेश्वर तिवारी समूचे देश के मंचों पर सुने और सराहे जाते हैं। वे ऐसे विरले शख्सियत हैं, जिन्होंने पूर्वाचल और पश्चिमांचल को एक सूत्र में पिरोने का सराहनीय कार्य किया है।

        कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दू कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामानंद शर्मा ने की। मुख्य अतिथि मंडलायुक्त एल वेंकटेश्वर लू, विशिष्ट अतिथि डी०आई०जी० ओंकार सिंह, शायर जमीर दरवेज रहे। कार्यक्रम का संचालन मनोज रस्तोगी ने किया।

         कार्यक्रम में अशोक विश्नोई, अतुल जौहरी, डॉ० अजय 'अनुपम', ओमकार सिंह 'ओकार', कृष्ण कुमार 'नाज', जितेन्द्र कुमार 'जौली', जमीर दरवेश, जिया जमीर, परशुराम 'नया कबीर', पूनम बंसल, डॉ० प्रेमावती उपाध्याय, फक्कड़ मुरादाबादी, मक्खन मुरादाबादी, मनोज रस्तौगी, डॉ० मीना नकवी, मनोज 'मनु', मंसूर उस्मानी, योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', रामदत्त द्विवेदी, रामेश्वर प्रसाद 'वशिष्ठ', डॉ० राकेश 'चक्र',  रामसिंह 'निःशंक', विकास मुरादाबादी,  विवेक 'निर्मल', वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी', शिशुपाल 'मधुकर', शचीन्द्र भटनागर, के०पी० सिंह 'सरल', राजीव प्रखर, हेमा तिवारी भट्ट, अर्चना गुप्ता, मोनिका मासूम, प्रदीप शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. यादगार,लाजवाब व् शानदार साहित्यक संगम। दैनिक जागरण समाचारपत्र के सफल प्रयास को प्रणाम जिसने साहित्यजगत के विभिन्न अनमोल रत्नों को एक साथ खूबसूरती से जोड़कर एक बेशकीमती ख़ज़ाने का रूप दिया।

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  2. एक उम्दा, लाजवाब व् शानदार साहित्यक संगम।

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