सोमवार, 11 दिसंबर 2017

गीत संग्रह बैरन भई बाँसुरी का किया गया लोकार्पण 

         दिनांक 10 दिसम्बर, 2017 को श्री गोविन्द हिन्दी सेवा समिति के तत्वाधान में गोविन्द कुटीर, हरथला, मुरादाबाद में लोकार्पण समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। कार्यक्रम में रामवीर सिंह 'वीर' के गीत संग्रह 'बैरन भई बाँसुरी' का लोकार्पण किया गया 



        इसके पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की।  विवेक 'निर्मल' ने "हादसों में कटी जिंदगी, लम्हा लम्हा घटी जिंदगी।" राजीव 'प्रखर' ने "जात-पात और भेदभाव से अब लड़ने की बारी है। उठो साथियों आजादी की जंग अभी भी जारी है।" श्री कृष्ण शुक्ल ने "अब तो चलनी चाहिए, कोई ऐसी रीत। तज के मिथ्या दंभ को, सभी निभाए प्रीत।" आफरीन ने "जिंदगी जीना आसान नहीं होता, बिना मेहनत कोई काम नहीं होता।" राजीव सक्सेना ने "गाँव-गाँव छिड़े है दंगल, शहर बने नालों के जंगल।"

        कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री आर० सी० शुक्ला ने की। मुख्य अतिथि डॉ० राजीव सक्सेना तथा विशिष्ट अतिथि डॉ० महेश दिवाकर एवं अशोक विश्नोई रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री अमरीश गर्ग ने किया। इस अवसर पर उदय प्रकाश सकसेना 'अस्त', योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', डॉ० महेश दिवाकर, अशोक विश्नोई लोग उपस्थित रहे।

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