शनिवार, 20 जनवरी 2018

.....सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत

हिन्दी साहित्य संगम की काव्य-गोष्ठी में कवियों ने किया काव्यपाठ 

          दिनाँक 7 जनवरी, 2018 को हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में  मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया। कार्यक्रम की  अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की, मुख्य अतिथि डॉ. चन्द्रभान सिंह एवम् विशिष्ट अतिथि श्री रमेश यादव 'कृष्ण' रहे। माँ शारदे की वंदना राजीव 'प्रखर' ने प्रस्तुत की, जबकि कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से राजीव 'प्रखर' एवम् जितेन्द्र कुमार 'जौली' द्वारा किया गया l



         जितेन्द्र कुमार 'जौली' ने मोबाइल का महत्त्व बताते हुए सुनाया, "सबका देता साथ है, कोई भी हो जोन। जीवन का इक अंग है, अब मोबाइल फ़ोन।" आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' ने "सुस्वागतम्, सुस्वागतम् नववर्ष सुस्वागतम्।" राजीव 'प्रखर' ने "चले गगन से खेलकर, जब वापस दिनमान। बोले, अब से भोर तक, चन्दा तू कप्तान।" सर्वेन्द्र सिंह ने "भूखों को तुम भोजन बाँटो, कपड़े बाँटो नंगों को।
मेरा तिरंगा बोल रहा है, मत काटो मेरे अंगों को।" अटल बागी ने "भीषण गर्जना दहाड़ करें। आओ, सिंहनाद करे।" प्रदीप सिंह 'गुल' ने "माँ तेरे आँचल में, मैंने बचपन संभाला है।" हेमा तिवारी भट्ट ने "नाचती ता थैय्या काल की करताल में। मना रही जश्न पर घिरी हूँ सवाल में।सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में ?"

         योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने "कुहरे ने जब धूप पर, पाई फिर से जीत। सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत।" रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने "तुम निराशा दो मुझे, विश्वास लेकर क्या करूँगा। जब दीप ही मेरा नहीं, प्रकाश लेकर क्या करूँगा।" रामदत्त द्विवेदी ने "फूल तोड़ जो डाले हमने,  मस्जिद की दीवारों पर। जाने कैसे वे मन्दिर की, मूरत पर चढ़ जाते हैं।"

          इसके अतिरिक्त श्री रमेश यादव 'कृष्ण', डॉ. चन्द्रभान सिंह, श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि ने, विभिन्न सामाजिक विषयों पर रचनाएँ प्रस्तुत की। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा कार्यक्रम के अन्त में आभार व्यक्त किया गया।

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