हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी
डॉ0 मीना नक़वी |
ओमकार सिंह ओंकार ने, "नाम तक भी नहीं शेष मधुमास का, एक भी फूल खिलता नहीं आस का।"
रामसिंह नि:शंक ने, "भ्रष्टाचारी देश में, फैले हैं चहुँ ओर। और बढ़ रहे देश में, कपटी लम्पट चोर॥" अम्बरीष गर्ग ने, "लुटता माल दिखा तो हम भी, पहुँचे लेकर झोली। अपना घर नीलाम हुआ, हम लगा रहे थे बोली॥" रचनाएँ पढ़ी।
कार्यक्रम मे योगेन्द्र वर्मा व्योम, रामसिंह नि:शंक, गिरीश चन्द्र गुप्ता, रघुराज सिंह निश्चल, रामदत्त द्विवेदी, जितेन्द्र कुमार जौली आदि ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अशोक विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि डॉ0 मीना नक़वी तथा विशिष्ट अतिथि रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ रहे। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कुमार जौली ने किया।
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