तुम कहाँ रह गये (ग़ज़ल)
मैं कहाँ आ गया, तुम कहाँ रह गये
आँधियों का शमा था चले साथ जब
हाथ छूटा तो पल में जुदा हो गये
धूप मेरा जलाती रही तन-बदन
छाँव की चाह में तुम हवा हो गये
सर्दियाँ-गर्मियाँ और बरसात भी
बदले मौसम बहुत तुम कहाँ खो गये
राहे-मंज़िल कठिन ग़म न कर 'सार्थक'
पूरा होगा सफ़र हमसफ़र कह गये
-सतीश सार्थक
पता : एच 6 ई/सी, रेलवे हरथला
कालोनी, मुरादाबाद (उ0प्र0)
सम्पर्क सूत्र : ९९२७४०२४९९
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