रविवार, 16 जून 2013

नेपाल में आयोजित की गयी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी

नेपाल में आयोजित की गयी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी

                          अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, मरादाबाद (उ.प्र.) भारतवर्ष द्वारा नेपाल की राजधानी काठमाण्डू के शंकर होटल में 'हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य' विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें भारत, अमेरिका, इंग्लैण्ड, सिंगापुर, नार्वे, नेपाल, मॉरिशस आदि देशों के शिक्षाविदों, आचार्यों, प्राचार्यों और साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया।
                          कार्यक्रम का शुभारम्भ बरेली की डॉ. महाश्वेता चतुर्वेदी ने सरस्वती वन्दना से किया। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादा बाद के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. आर.के. मित्तल ने कहा कि वह दिन दूर नहीं है, जब हिन्दी महाशक्तियों के बीच अन्तर्राष्ट्रीय संवाद की भाषा का उच्च स्थान ग्रहण करेगी।
                         इस अवसर पर 'हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य' शीर्षक से प्रकाशित विशाल ग्रंथ का लोकार्पण किया गया। अमेरिका से पधारे डॉ. शेर बहादुर सिंह, सिंगापुर की डॉ. सावित्री वशिष्ठ, नार्वे के श्री शरद आलोक, नेपाल के श्री रामगोविन्द अग्रवाल आदि ने भारत नेपाल सम्बन्धों के उन्नयन एवं संवर्द्धन में हिन्दी भाषा और  नेपाली भाषा की प्रासंगिकता एवं महत्ता पर प्रकाश डालते हुए, इस आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएँ दी।
                        मंच के महासचिव डॉ. रामगोपाल भारतीय ने मंच के कार्योँ का जहाँ विवरण प्रस्तुत किया, वहीं मंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. महेश दिवाकर ने सभागार में उपस्थित अतिथियों और साहित्यकारों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। डॉ. मीना कॉल ने मंच की उपलब्धियों एवं इतिहास पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अनेक पुस्तकों का लोकार्पण किया गया तथा विभिन्न देशों से आये साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया।
                        इस अवसर पर विवेक निर्मल, त्रिलोक चन्द्र अग्रवाल, डॉ. आनन्द सुमन सिंह, डॉ. विनय पाठक, डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल, डॉ. बाबू राम, डॉ. अभय कुमार, डॉ. मयंक पंवार, रामसिंह निःशंक, योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इलहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिराज सिंह 'नूर' ने की। 

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