शुक्रवार, 28 जून 2013

रामदत्त द्विवेदी के दोहे

 रामदत्त द्विवेदी के दोहे


फँसना लोभ व मोह में, मत करना मंजूर। 
वरना जग कल्याण से, हो जाओगे दूर॥ 

पूत कमाऊ के लियें, पक्षपात की बात। 
पहुँचाती है हृदय को, इक गहरा आघात॥ 

धरा यहीं रह जायगा, राजपाठ और देश। 
सदा साथ ही जायगा, एक प्रेम संदेश॥ 

परमार्थ के लिए करें, समय हृदय उपयोग। 
करने ना देगा हमें, लोभ मोह का योग॥ 

सदा भलाई हम करें, और गलत दें छोड़। 
जिससे जीवन को मिले, एक नया-सा मोड़॥


 - रामदत्त द्विवेदी
 मिलन विहार, मुरादाबाद (उ.प्र.) 
सम्पर्क सूत्र : 9456032791


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