सोमवार, 24 जून 2013

यू.पी. सक्सेना 'अस्त' के दोहे

यू.पी. सक्सेना 'अस्त' के दोहे

यू.पी. सक्सेना 'अस्त'
पतझड़ आया देखकर, मत चिंता कर मीत। 
खोकर ही कुछ पायगा, यह जीवन की रीत॥ 

मैं तो हर पल देखता, दुखिया है संसार। 
 बिना समर्पण चाहता, भाव से बेड़ा पार॥ 

रात गयी, आयी सुबह, उगता सूरज देख। 
फल इच्छा बिन कर्म कर, गीता का यह लेख॥ 

साँसे धड़कन कह रही, बस हमसे यह बात। 
सुमिरन कर ले राम का, कुछ पल की है रात॥ 

जैसा जिसका कर्म है, जैसा जिसका लेख। 
वैसा ही घटता यहाँ, अनुभव करके देख॥

-श्री उदय प्रकाश सक्सेना 'अस्त'
 पता : टी 62 ए, रेलवे स्टेशन कालोनी
 नार्थ , मुरादाबाद (उ0प्र0) 
सम्पर्क : 9760990791, 9760534450


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