गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

बाल कविता- मेरा टोमी (रघुराज सिंह 'निश्चल')

मेरा टोमी

रघुराज सिंह 'निश्चल'
मेरा टोमी काला काला।
बड़ा अनोखा बड़ा निराला॥

जब भी कोई आहट होती,
अपने कान खड़े कर लेता।
भौंक भौंक कर जोर जोर से,
सबको चौकन्ना कर देता॥

देखो कैसा है रखवाला।
मेरा टोमी काला काला॥

यहाँ वहाँ मुँह नही डालता,
अपने बर्तन में ही खाता।
जैसे ही मैं उसे बुलाता,
एक इशारे से आ जाता॥

कितनी आज्ञा पालन वाला।
मेरा टोमी काला काला॥

बालक उसे छेड़ते रहते,
कभी नहीं वह उन्हे काटता।
उछल कूदकर पूँछ हिलाता,
उन्हे खिलाता पाँव चाटता॥

वफादार है सबसे आला।
मेरा टोमी काला काला॥

-रघुराज सिंह 'निश्चल'

RAGHURAJ SINGH 'NISHCHAL'

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