सोमवार, 7 मई 2012

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी

                              दिनाँक 6 मई, 2012 को हिन्दी साहित्य संगम की ओर से गायत्री प्रज्ञा पीठ, मुरादाबाद में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें रचनाकारों ने सामाजिक एवं हास्य व्यंग्य की रचनाएँ प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके की गई। सरस्वती वन्दना वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी द्वारा प्रस्तुत की गई।
                              अतुल जौहरी ने "छल फरेब की दुनिया में क्या हुआ होगा, जिसने जैसा किया उसने वैसा भोगा।", जितेन्द्र कुमार जौली ने,"बेकारी के दौर में, पढ़ा लिखा पछताय। अब तो अनपढ़ आदमी इंटरनेट चलाय॥", ओमकार सिंह ओंकार ने "झोंपड़ियो को तोड़कर, महल बनाया एक।.... वेघर किये अनेक॥", योगेन्द्र वर्मा व्योम ने,"खिँची-खिंची सी जिन्दगी, नुचे-नुचे अरमान। बिन मंजिल की दौड़ में, दौड़ रहा इंसान॥"
                              कार्यक्रम  में अशोक विश्नोई, योगेन्द्र वर्मा व्योम, विकास मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, शिवावतार सरस, शिशुपाल मधुकर, कृष्ण कुमार नाज़, मनोज मनु, रामदत्त द्विवेदी, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि ने काव्यपाठ किया। अध्यक्षता राजेन्द्र मोहन श्रृंग तथा संचालन जितेन्द्र कुमार जौली ने किया।


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