शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

गंगा में बहने लगे, नम्बर दो के नोट.....

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की काव्य गोष्ठी में बही रसधारा

दिनाँक १४ नवम्बर, 2016 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की मासिक काव्य एवम् विचार गोष्ठी, विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार, मुरादाबाद में आयोजित हुई l कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की l मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री अशोक विश्नोई, डॉ. महेश दिवाकर तथा श्री रमेश यादव 'कृृष्ण' थे l माता सरस्वती की वंदना श्री रामसिंह 'निशंक' ने प्रस्तुत की एवम् संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया l



 विभिन्न रचनाकारों ने निम्न प्रकार अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी -

राजीव 'प्रखर' -"नन्हीं मुनिया को मिला, उसी जगत से त्रास l जिसमें लोगों ने रखा, नौ दिन का उपवास"l

विवेक 'निर्मल' -"जिन्हें सुन कर किया था,अनसुना मैंने जवानी में lबुढ़ापे में उसी माँ की, दुआऐं याद आती हैं"l

कृपाल सिंह धीमान -"फिर से इस देश का यों चित्र बनाया जाये l इसके आंगन में अमन का, फूल खिलाया जाये"l

के. पी. 'सरल' -"आज़ादी की बात कर, लोकलाज छोड़कर, फूल गोभी बन के चली, सर न दुपट्टा है" l

रामदत्त द्विवेदी -"मोदी जी में दीखती, हमको अपनी आस l इसीलिये हमरा बना, उनमें है विश्वास"l

रघुराज सिंह 'निश्चल'-"गंगा में बहने लगे, नम्बर दो के नोट l बिन फर के ही बाण से, खाकर गहरी चोट"l

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ -"विविध कष्ट निवारिणी माँ गंगे l भक्ति-शक्ति प्रदायिनी माँ गंगे"l

अशोक विश्नोई -"पास हमारे बैठो नानी l हमें सुनाओ एक कहानी"l

डॉ. महेश दिवाकर - "जीवन के अभिलेख में, भये अनेकों काम l पन्ने-पन्ने पर लिखा, मनमोहन का नाम"l

ओंकार सिंह 'ओंकार' -"आइये ! मिल बैठकर, बाज़ार की चर्चा करें l जिसने छीना आदमी से प्यार की चर्चा करें"l

तत्पश्चात श्री अम्बरीष गर्ग, श्री जे.पी. विश्नोई, श्री राजेश्वर प्रसाद गहोई, श्री श्रवण विश्नोई, श्री रमेश गुप्ता, श्री अंबा चौबे, श्री राम बहादुर सक्सेना, श्री रमेश यादव 'कृष्ण', डॉ. महेश दिवाकर, श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि ने, विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये l अंत में श्री अम्बरीष गर्ग ने आभार व्यक्त किया।

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