शनिवार, 13 अगस्त 2016

हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

    दिनाँक  7 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम  का शुभारम्भ श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी द्वारा सरस्वती वंदना कर तथा माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। 



    कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि  श्री राकेश चक्र तथा विशिष्ट अतिथि श्री रामसिंह निःशंक रहे।  कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी। 

     अपनी रचना में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- गौ रक्षक के देखिए , कितने उच्च विचार। जो भी काटे गाय को, तुम उसको दो मार।। अपनी रचना में वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी ने कहा कि- ‘‘खादी-खाकी आज खो रही दुनियां में अपनी पहचान, मानव से दानव होने का करा रही दुनियां को मान’’  डा. राकेश चक्र ने कहा कि- माँ मूरत प्रेम की, शतिल छांव समीर। खुद पीरों को सह गयी, है गंगा का नीर।। राजीव प्रखर ने कहा कि - कान्हा बोले यूं मैया से, क्यूं
कलियुग में जाऊं मैं । जो माखन अब नहीं है असली काहे भोग लगाऊं मैं।। 

   इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, राम सिंह नि:शंक, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, केपी सिंह सरल, पदम सिंह यादव, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्टा, योगेन्द्र पाल सिंह, प्रदीप शर्मा आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।

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