हुआ टकराव क्यों है?
आदमीयत का हुआ ठहराव क्यों है॥
सिमट कर छोटा हुआ है क्यों सवेरा।
अंधकारो का हुआ फैलाव क्यों है॥
आदमी क्यों खून का प्यासा हुआ है।
क्रोध में हर व्यक्ति दुर्वासा हुआ है॥
भस्म करने आज चन्दन वनों को,
हर तरफ आग का बिखराव क्यों है॥
क्यों श्रवण से पुत्र अब सोये हुए हैं।
अनुज लक्ष्मन से कहीं खोये हुए हैं॥
मान मर्यादा कलंकित हो रही है,
देह से सत्कर्म का अलगाव क्यों है॥
-वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी'
बुद्धि विहार, मुरादाबाद।
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