रविवार, 4 मार्च 2012

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी


कविता की पिचकारी से बरसा रंग

                           4 मार्च, 2012 को हिन्दी साहित्य संगम की ओर से गायत्री प्रज्ञा पीठ लाईनपार मुरादाबाद में होली पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके की गयी।
                            इस अवसर पर कवियोँ ने होली एवं सामाजिक समस्याओं से सम्बन्धित कविताओँ द्वारा काव्य रस की बौछार की।
कार्यक्रम अध्यक्ष- डॉ0ओमाचार्य
मुख्य अतिथि- डॉ0 रमेश कृष्ण
विशिष्ट अतिथि- श्री अशोक विश्नोई
सरस्वती वन्दना- रामसिंह निःशंक
संचालन- जितेन्द्र कुमार जौली,
 योगेन्द्र वर्मा व्योम ने, "गुझिया पिचकारी लड़े, होगी किसकी जीत। एक कह रही है गज़ल, एक लिख रही गीत॥" शिव अवतार सरस ने, "पुराने गिले शिकवे, मिटा दो यार होली में। गले लगाकर मिलो सबसे, लुटा दो प्यार होली में॥" रवि चतुर्वेदी ने,"सड़को से संसद तक जितने खद्दरधारी हैं। नेता तो होते थे पहले अब केवल भ्रष्टाचारी है॥"अम्बरीश गर्ग ने,"नीबू ये कहने लगा, यार मुझे अब छोड़। जो कोई मुझसे मिला, मुझको लिया निचोड़॥" सुनाई।
                         गोष्ठी मे मीना नक़वी, माधव शर्मा, नकुल त्यागी, विकास मुरादाबादी, रामदत्त द्विवेदी, दयाराम पुरुषार्थी आदि ने काव्यपाठ किया।

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