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देखिये क्या होगा
देखिये क्या होगा।
मेरे देश में भ्रष्टाचारी हो रहे मालामाल,
देखिये क्या होगा॥
बड़े-बड़े घोटाले करते लाज शरम न आती है।
अरबों की सम्पत्ति इन पर दौड़ी-दौड़ी आती है।
कुर्ता खादी धोती खादी खादी का रूमाल,
देखिये क्या होगा॥
मुट्ठी भर लोगों के हाथों जनता की तकदीर है।
जनता को वादोँ का शरबत भारत की तस्वीर है।
जनता ने चुन संसद भेजा फिर कैसे करे सवाल,
देखिये क्या होगा॥
अन्ना के साहस को अपना नमन सौ-सौ बार है।
भ्रष्टाचार पर नकेल डालना आज की दरकार है।
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी जी के हैं जंजाल,
देखिये क्या होगा॥
भ्रष्टाचार की जड़े देश में गहरे तक हैं पैठ रही।
भाग्य हमारे बँधा यही कहकर जनता बैठ रही।
इसको खत्म करें सब मिलकर होंगे तभी खुशहाल,
देखिये क्या होगा॥
- रामसिंह निःशंक
लाइनपार, मुरादाबाद।
RAM SINGH 'NISHANK'
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