शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

गंगा में बहने लगे, नम्बर दो के नोट.....

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की काव्य गोष्ठी में बही रसधारा

दिनाँक १४ नवम्बर, 2016 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की मासिक काव्य एवम् विचार गोष्ठी, विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार, मुरादाबाद में आयोजित हुई l कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की l मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवम् विशिष्ट अतिथि श्री अशोक विश्नोई, डॉ. महेश दिवाकर तथा श्री रमेश यादव 'कृृष्ण' थे l माता सरस्वती की वंदना श्री रामसिंह 'निशंक' ने प्रस्तुत की एवम् संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया l



 विभिन्न रचनाकारों ने निम्न प्रकार अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी -

राजीव 'प्रखर' -"नन्हीं मुनिया को मिला, उसी जगत से त्रास l जिसमें लोगों ने रखा, नौ दिन का उपवास"l

विवेक 'निर्मल' -"जिन्हें सुन कर किया था,अनसुना मैंने जवानी में lबुढ़ापे में उसी माँ की, दुआऐं याद आती हैं"l

कृपाल सिंह धीमान -"फिर से इस देश का यों चित्र बनाया जाये l इसके आंगन में अमन का, फूल खिलाया जाये"l

के. पी. 'सरल' -"आज़ादी की बात कर, लोकलाज छोड़कर, फूल गोभी बन के चली, सर न दुपट्टा है" l

रामदत्त द्विवेदी -"मोदी जी में दीखती, हमको अपनी आस l इसीलिये हमरा बना, उनमें है विश्वास"l

रघुराज सिंह 'निश्चल'-"गंगा में बहने लगे, नम्बर दो के नोट l बिन फर के ही बाण से, खाकर गहरी चोट"l

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ -"विविध कष्ट निवारिणी माँ गंगे l भक्ति-शक्ति प्रदायिनी माँ गंगे"l

अशोक विश्नोई -"पास हमारे बैठो नानी l हमें सुनाओ एक कहानी"l

डॉ. महेश दिवाकर - "जीवन के अभिलेख में, भये अनेकों काम l पन्ने-पन्ने पर लिखा, मनमोहन का नाम"l

ओंकार सिंह 'ओंकार' -"आइये ! मिल बैठकर, बाज़ार की चर्चा करें l जिसने छीना आदमी से प्यार की चर्चा करें"l

तत्पश्चात श्री अम्बरीष गर्ग, श्री जे.पी. विश्नोई, श्री राजेश्वर प्रसाद गहोई, श्री श्रवण विश्नोई, श्री रमेश गुप्ता, श्री अंबा चौबे, श्री राम बहादुर सक्सेना, श्री रमेश यादव 'कृष्ण', डॉ. महेश दिवाकर, श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि ने, विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये l अंत में श्री अम्बरीष गर्ग ने आभार व्यक्त किया।

सोमवार, 7 नवंबर 2016

राजीव प्रखर का गीत : अपने अंत को मानव ने, खुद ही दावत दे डाली


हरियाली


अपने अंत को मानव ने,
खुद ही दावत दे डाली l
तरुवर छीने धरती से,
ग़ायब कर दी हरियाली l
अपने अंत को मानव ने..

घटता जाये धरा से जल,
घटता जाये रेता l
मूक-बधिर सब बने हुए हैं,
जनता हो या नेता l
कोकिल भी कू-कू करने को,
ढूँढ रही है डाली l
तरुवर छीने धरती से,
ग़ायब कर दी हरियाली l
अपने अंत को मानव ने..

इसी धरा पे मिले हैं पावन,
वेद-बाईबल-गीता l
इसी पे जन्मीं माता मरियम,
इसी पे देवी सीता l
माटी के मूरख पुतले की,
देखो अदा निराली l
तरुवर छीने धरती से,
ग़ायब कर दी हरियाली l
अपने अंत को मानव ने..

आओ मित्रो हरियाली की,
मिलकर अलख जगाएें l
कटे कहीं कोई वृक्ष,
तो बदले में नई पौध लगाऐं l
मिट जाऐंगे अगर न हमने,
आदत ऐसी पाली l
तरुवर छीने धरती से,
ग़ायब कर दी हरियाली l
अपने अंत को मानव ने..

-राजीव 'प्रखर'
निकट राधा कृष्ण मन्दिर,
मौहल्ला डिप्टी गंज,
मुरादाबाद (उ. प्र.)-244 001
सम्पर्क - 8941912642

रविवार, 6 नवंबर 2016

हिन्दी साहित्य संगम की गोष्ठी में रचनाकारों ने किया काव्यपाठ 

हिन्दी साहित्य संगम की गोष्ठी में रचनाकारों ने किया काव्यपाठ 

 मुरादाबाद की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था  हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि गोष्ठी दिनाँक 6 नवंबर, 2016 को मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित सनातन धर्म मिलन धर्मशाला में आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। गोष्ठी में उपस्थित साहित्यकारों ने अपनी रचनाएं इस प्रकार प्रस्तुत की-
 जितेन्द्र कुमार जौली ने "कुछ तो होगा फायदा, सोच रहे थे लोग। पर हमको बहका गया, यह वेतन आयोग।।"  
राजीव 'प्रखर' ने "नन्ही मुनिया को मिला, उसी जगत से त्रस्त। जिसमें लोगों ने रखा, नौ दिन का उपवास ।।"



रामदत्त द्विवेदी ने "वह हमारे साथ में जब तक रहे, जिंदगी हर मोड़ पर अच्छी लगी। जब से छूटा हमसे उनका वास्ता, तो खुशी हर मोड़ पर  कच्ची लगी।।" 
 ओंकार सिंह ओंकार ने "आइएये! मिल-बैठकर बाजार की चर्चा करें। जिसने छीना आदमी से प्यार की चर्चा करें।"
 योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने "अट्टाहास करता रहा, जालिम भ्रष्टाचार। डिग्री हमें हाथ में, युवा वर्ग लाचार।। सपनों के बाजार में, 'हरिया' खड़ा उदास। भूखा-नंगा तन लिए, कैसे करे विकास।"
 रामेश्वर प्रसाद वशिष्ट ने "जलते दियो से दिलों में रोशनी कर लो। अमावस के अंधकार को पूनम में बदलो।।"
 के0 पी0 सिंह 'सरल' ने "देश सिरमौर था वह वक्त कोई और था, अब तो यहाँ संस्कृति का पराभाग हो रहा अंग्रेजी के स्कूलों ने समाज  बरबाद किये, सरकारों के मुँह पर भी लगा हुआ ताला है।।" 

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार तथा  विशिष्ट अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ रहे। सरस्वती वंदना श्री राजीव 'प्रखर' ने प्रस्तुत की और कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने किया।

गुरुवार, 3 नवंबर 2016

माहेश्वर तिवारी को किया गया सम्मानित

माहेश्वर तिवारी को किया गया सम्मानित 

         ;3 नवम्बर, 2016 को मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' एवं 'हिन्दी साहित्य सदन' के संयुक्त तत्वावधान में श्रीराम विहार कालोनी स्थित 'विश्रान्ति' भवन में "अभिनंदन-उत्सव" का आयोजन किया गया जिसमें सुविख्यात नवगीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी को उनकी उल्लेखनीय साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उ०प्र० सरकार द्वारा प्रदत्त 'यश भारती' के परिप्रेक्ष्य में मानपत्र, अंगवस्त्र, श्रीफल नारियल भेंट कर आत्मीय अभिनंदन किया गया। 



कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि "माहेश्वर तिवारी जी हिन्दी साहित्य के शीर्षस्थ रचनाकार हैं, उनके नवगीत कविता की एक नयी परिभाषा गढ़ते हैं।" विशिष्ट अतिथि श्री डी.पी.सिंह ने कहा कि "माहेश्वर जी को यश भारती बहुत पहले मिल जाना चाहिए था, वह इस सम्मान के सच्चे सुपात्र हैं।" वरिष्ठ शायर डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा कि "माहेश्वर जी के नवगीत परंपरागत स्थापित सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।" साहित्यकार श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने इस अवसर पर कहा कि "माहेश्वर तिवारी जी के नवगीत वर्तमान के खुरदरे यथार्थ को मिठास के साथ प्रस्तुत करने वाले समकालीन कविता के मानक निर्मित करते हैं।" कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' ने कहा कि "माहेश्वर जी को यश भारती से सम्मानित किए जाने से पूरा मुरादाबाद सम्मानित हुआ है, समूचा गीत-साहित्य सम्मानित हुआ है और खुद यश भारती गौरवान्वित हुआ है।" इस अवसर पर सम्मानित डॉ. माहेश्वर तिवारी ने काव्यपाठ करते हुए कहा - 
"डायरी में/उंगलियों के फूल से/लिख गया है/नाम कोई भूल से/सामने यह खुला पन्ना/दिख गया हो/कौन जाने आदतन ही/लिख गया हो/शब्द जो/सीखे कभी थे धूल से"
कार्यक्रम में गोकुलदास गर्ल्स डिग्री कालेज की प्राचार्या डॉ. अंजना दास, प्रसिद्ध ज्योतिर्विद श्री विजय दिव्य, श्रीमती कौशल कुमारी आदि अनेक स्थानीय गणमान्य जन उपस्थित रहे।

शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

आकांक्षा विद्यापीठ में किया गया कवि-गोष्ठी का आयोजन

हिन्दी साहित्य संगम की अक्टूबर माह की कवि-गोष्ठी 

दिनाँक 2 अक्टूबर, 2016 को सनातन धर्म मिलन धर्मशाला, मिलन विहार मुरादाबाद में हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कवि-गोष्ठी में उपस्थित  रचनाकारों ने अपने मन के उद्गार व्यक्त किए। 




योगेंद्र वर्मा व्योम ने "पता नहीं अभिशाप है, या फिर यह वरदान। मोबाइल ने छीन ली, चिट्ठी की पहचान।" प्रदीप शर्मा ने  "आतंकी हथियार फेंक मेरे देश में आना तुम, कभी किसी दरगाह पे जाकर श्रद्धा शीश नवाना तुम।" ओंकार सिंह  ओंकार ने "तुम नई राहें बनाने का जतन करते चलो, जो भी वीराने मिले उनको चमन करते चलो।" जितेन्द्र कुमार जौली ने "गंदी नजर डालता, भारत पर जब पाक। मिलती उसको मात है, कटती उसकी नाक।"  राजीव प्रखर ने "शीर्ष  पदों पर रहकर भी जो, धरती पर ही सोता है। सदियों में ही जाकर ऐसा, लाल बहादुर होता है।" अपनी रचना पढ़ी।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई  ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार तथा विशिष्ट अतिथि श्री क्षेत्रपाल सिंह सरल रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया तथा सरस्वती वंदना सरस्वती वंदना श्री अशोक कुमार विश्नोई ने प्रस्तुत की। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया।

 कार्यक्रम में रामदत्त द्विवेदी, राजीव प्रखर, योगेन्द्र वर्मा व्योम,  रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, के पी सिंह सरल, अशोक कुमार विद्रोही, योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, प्रदीप शर्मा, ओंकार सिंह ओंकार, जितेन्द्र कुमार जौली आदि ने काव्य पाठ किया।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

राजीव सक्सेना को किया गया 'हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान' से सम्मानित

हिन्दी साहित्य संगम का हिन्दी दिवस समारोह 


दिनाँक 13 सितम्बर, 2016 को हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम और रेड सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में कम्पनी बाग स्थित स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी भवन के सभागार में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सम्मान समारोह तथा काव्य-संध्या आयोजित की गई। जिसमे सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार श्री राजीव सक्सेना जी को बाल साहित्य के क्षेत्र में उनके समग्र योगदान के लिए ''हिन्दी साहित्य गौरव'' सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र और श्रीफल भेंट किया गया।



 कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके और कृष्ण कुमार नाज़ द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया। इसके पश्चात कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने कहा कि वर्तमान युग विज्ञान का युग है और बाल विज्ञान के क्षेत्र में राजीव सक्सेना जी का साहित्य सृजन एक विशेष महत्व रखता है। बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित उनकी अनेक पुस्तकें साहित्य जगत में पर्याप्त चर्चित एवं पुरस्कृत हुई है।



           कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ० अजय अनुपम ने कहा कि हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष आता है और संस्थाएँ हिन्दी दिवस समारोह आयोजित करती हैं हिन्दी को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार की शपथ ली जाती हैं, भाषण दिए जाते हैं, लेकिन ये भाषण और शपथ हिन्दी दिवस के बाद कहीं गायब हो जाते हैं।  कारण यही है कि हम हिन्दी को अपने व्यवहार में नहीं ला पाते हैं। हिन्दी के विकास के लिए हमें हिन्दी को अपने कार्य व्यवहार में लाना होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा कि आज के इंटरनेट के समय में फेसबुक और व्हाटसएप  पर हिन्दी के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है।  संदेश लिखते समय हिन्दी के शब्दों का संक्षेपीकरण किया जा रहा है जो कई बार अर्थ का अनर्थ भी कर देता है। युवा पीढ़ी को इससे बचना चाहिए।



 कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। इस मौके पर राजीव सक्सैना, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, हेमा तिवारी भट्ट, कृष्ण कुमार नाज, केपी सिंह सरल, आशु मुरादाबादी, विकास मुरादाबादी, फक्कड़ मुरादाबादी, अशोक विश्नोई, प्रदीप शर्मा, डा. मीना कौल, नकुल त्यागी, ब्रजेन्द्र सिंह वत्स, संयम वत्स मनु, राकेश चक्र, अतुल जौहरी, अम्बरीष गर्ग, यूपी सक्सेना, विवेक निर्मल आदि उपस्थित रहे।

राजीव सक्सेना को किया गया 'हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान' से सम्मानित

हिन्दी साहित्य संगम का हिन्दी दिवस समारोह 


दिनाँक 13 सितम्बर, 2016 को हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम और रेड सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में कम्पनी बाग स्थित स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी भवन के सभागार में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सम्मान समारोह तथा काव्य-संध्या आयोजित की गई। जिसमे सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार श्री राजीव सक्सेना जी को बाल साहित्य के क्षेत्र में उनके समग्र योगदान के लिए ''हिन्दी साहित्य गौरव'' सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र और श्रीफल भेंट किया गया।



 कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके और कृष्ण कुमार नाज़ द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया। इसके पश्चात कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने कहा कि वर्तमान युग विज्ञान का युग है और बाल विज्ञान के क्षेत्र में राजीव सक्सेना जी का साहित्य सृजन एक विशेष महत्व रखता है। बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित उनकी अनेक पुस्तकें साहित्य जगत में पर्याप्त चर्चित एवं पुरस्कृत हुई है।



           कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ० अजय अनुपम ने कहा कि हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष आता है और संस्थाएँ हिन्दी दिवस समारोह आयोजित करती हैं हिन्दी को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार की शपथ ली जाती हैं, भाषण दिए जाते हैं, लेकिन ये भाषण और शपथ हिन्दी दिवस के बाद कहीं गायब हो जाते हैं।  कारण यही है कि हम हिन्दी को अपने व्यवहार में नहीं ला पाते हैं। हिन्दी के विकास के लिए हमें हिन्दी को अपने कार्य व्यवहार में लाना होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा कि आज के इंटरनेट के समय में फेसबुक और व्हाटसएप  पर हिन्दी के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है।  संदेश लिखते समय हिन्दी के शब्दों का संक्षेपीकरण किया जा रहा है जो कई बार अर्थ का अनर्थ भी कर देता है। युवा पीढ़ी को इससे बचना चाहिए।



 कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। इस मौके पर राजीव सक्सैना, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, हेमा तिवारी भट्ट, कृष्ण कुमार नाज, केपी सिंह सरल, आशु मुरादाबादी, विकास मुरादाबादी, फक्कड़ मुरादाबादी, अशोक विश्नोई, प्रदीप शर्मा, डा. मीना कौल, नकुल त्यागी, ब्रजेन्द्र सिंह वत्स, संयम वत्स मनु, राकेश चक्र, अतुल जौहरी, अम्बरीष गर्ग, यूपी सक्सेना, विवेक निर्मल आदि उपस्थित रहे।

हिन्दी साहित्य संगम की सितम्बर माह की कवि-गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की सितम्बर माह की कवि-गोष्ठी 

    दिनाँक  4 सितम्बर , 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम  का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ शारदे के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। 



     गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी तो समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी। 

     अपने दोहे में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- कुछ तो होगा फायदा, सोच रहे थे लोग। पर हमको बहका गया, ये वेतन आयोग।। अपनी रचना में राजीव प्रखर  ने
कहा कि- जब हरियाली खी कीमत पर, घर-घर मंगल होता है। कोई न झाने कितने आँसू, पग-पग जंगल रोता है। रामदत्त द्विवेदी  ने कहा कि "यदि बनाना है तुम्हे, अपना सिटी स्मार्ट। स्वच्छ करो निज गृह के, आसपास का पार्ट।। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने की। मुख्य अतिथि  श्री रामवीर सिंह वीर तथा अति विशिष्ट अतिथि श्री योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री अशोक कुमार विश्नोई रहे।  कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कुमार जौली ने किया तथा सरस्वती वन्दना राजीव प्रखर ने प्रस्तुत की।

   इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, प्रदीप शर्मा,  शिशुपाल मधुकर, राकेश चक्र, विकास मुरादाबादी, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, पदम सिंह बेचैन, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्ट, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।

मंगलवार, 6 सितंबर 2016

लघु कथाएँ



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बाल कविताएँ



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गीत



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दोहे


शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

मोनिका 'मासूम' की ग़ज़ल

रोशनी की इक किरण अंधियार में जिन्दा रही


यूँ अदब तहजीब अब व्यवहार में जिन्दा रही
ज्यूं गजल जुम्मे के चित्रहार में जिन्दा रही

रीतियों का हाल ऐसा हो गया त्योहार में
लाज अबला की किसी बाजार में जिन्दा रही 

तीरगी ने कोशिशें तो की निगलने की बहुत
रोशनी की इक किरण अंधियार में जिन्दा रही

सूखकर पतझङ में पत्ते सारे जिसके गिर गए
छाँव सूखे ठूँठ की बहार में जिन्दा रही

ढूंढने निकले बहुत  हमको न इक भी मिलसकी
नौकरी तो सिर्फ अब अखबार में जिन्दा रही

खत्म हुईं, बेटी बचाओ , बेटी भविष्य की निधि
बेटी तक कुछ ऐसे इश्तिहार में जिन्दा रही

जी रहे थे जिंदगी हम मौत से हो बेखबर
जिंदगी खुद मौत के दीदार में जिन्दा रही

कत्ल कर के बैठे हम "मासूम" यादों का मगर
बात उनकी मेरे  हर अश'आर मे जिन्दा रही


-मोनिका 'मासूम'
पता  फ्रैंड्स कालोनी, चंद्र नगर,
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
सम्पर्क सूत्र : 8272833389

सोमवार, 22 अगस्त 2016

हेमा तिवारी भट्ट की लघु कथा : 'जहर'

जहर (लघु कथा)


"मनु और मीनू! यहाँ आओ बेटा जल्दी से भगवान जी का प्रसाद ले लो।" "नहीं माँ,मुझे नहीं खाना" नन्हा मनु मुँह बिगाड़ता हुआ बोला"और मुझे भी नहीं खाना मेरा अभी मन नहीं कर रहा है।"कहते हुए मीनू ने भी अपनी बात जोड़ी। संस्कारी राधा को अपने बच्चों का प्रसाद के लिए इस तरह मना करना बड़ा अटपटा लगा उसने प्रसाद की थाली मेज पर रखी और दोनों बच्चों को प्यार से अपने पास बुलाकर समझाया" देखो बच्चों कभी भी प्रसाद के लिए मना नहीं करते। प्रसाद में भगवान का आशीर्वाद होता है| चाहे थोड़ा-सा ही खाओ, पर माथे से लगाकर भगवान का धन्यवाद करना न भूलो"।  बच्चे माँ को बहुत ध्यान से सुन रहे थे इसलिए बालमन पर और गहरी छाप छोड़ने के लिए माँ ने जोर देकर कहा," जब हम भगवान का प्रसाद खाते हैं तो वह हमसे बहुत खुश होते हैं और हम जो भी चाहते है वह हमें तुरन्त मिल जाता है। हमें कभी प्रसाद का अनादर नहीं करना चाहिए, वरना भगवान हमसे नाराज हो जाते हैं।"  "अच्छा माँ,ऐसी बात है तो आप मुझे जल्दी से प्रसाद दे दो। मैं तो जरूर प्रसाद खाऊँगी और कभी प्रसाद के लिए मना नहीं करूँगी" बड़ी मीनू ने यह कहकर अपने को समझदार दिखाया तो छोटे मियाँ मनु भी कहाँ पीछे रहते उन्होंने भी झट माँ से प्रसाद माँग लिया और प्रसाद बँधी अंजुलि को माथे से लगाकर माँ को आँखों की कोर से देखा। माँ बड़ी खुश हुई आखिर उसने अपने छोटे-छोटे से बच्चों को एक अच्छी आदत सीखा दी थी।

राधा बरामदे में बैठी अखबार पढ़ रही थी| अखबार पढ़ते पढ़ते अचानक उसके चेहरे पर बेचैनी के भाव आने लगे। वह बेसब्री से पृष्ठ लगी और फिर गौर से कुछ पढ़ने लगी पर यह क्या उसके चेहरे पर घबराहट के भाव बढ़ते ही जा रहे थे। उसने अचानक से अखबार को बंद करके मेज पर पटका और टीवी ऑन कर लिया। रिमोट से न्यूज चैनल सैट कर के वह सोफे पर पसर गयी। शहर में जहरखुरानों का गिरोह सक्रिय होने की खबर चल रही थी। कैसे कुछ दिनों से कई बच्चे इस गिरोह ने अपहृत कर लिये थे। कई बुजुर्गों को भी निशाना बनाया गया था। कुछ पीड़ित जो समय रहते अपनों के पास पहुँच गये या जो भाग्य से बच गये, उनका इंटरव्यू चैनल पर बार-बार प्रसारित किया जा रहा था। एक पीड़ित बुजुर्ग बता रहीं थी," अरे भगवान कैसा जमाना आ गया है। तिलक लगाये बाबा जी थे वे तो। बोले थे बेटा लो मैय्या का प्रसाद खाओ, तुम्हारे सब दुःख दूर हो जायेंगे। बेटा रिक्शा लेने गया था मैंने प्रसाद माथे से लगा थोड़ा सा मुँह पर रखा भर था पर जब होश आया तो यहाँ अस्पताल  में आँख खुली। "बेटा बता रहा था,"जब मैं रिक्शा लेकर लौटा तो माँ  पेड़ के सहारे बेसुध पड़ी थी। पैसों का पर्स गायब था। नाक, कान, गले और हाथ के जेवर गायब थे पर माँ मिल गयी यही बहुत है वरना हमारे पड़ोसी का तो नौ साल का बेटा नहीं मिल रहा जो उसी रास्ते से गुजरता था। उस महिला का रो रो कर बुरा हाल था जिसका बेटा अपहृत हुआ था। राधा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी टीवी देखकर तो उसका मन और भी भारी हो गया था, आँसू आँखों के कोने पर छलकने को तैयार बैठे थे|राधा ने नजर घड़ी की ओर दौड़ायी तो उसका दिल धक-सा कर गया। इस समय तक तो उसके बच्चे घर आ जाते थे। पता नहीं कैसे कैसे ख्याल उसके दिल में आने लगे। उसने आनन-फानन घर बंद किया, चप्पलें पहनी और बाहर गली का रुख किया ही था कि नन्हें मनु और मीनू की चहकती आवाजें सुनायी दी। जैसे प्राण लौट आयें हो, बदहवास सी राधा ने दोनों बच्चों को गले से लगाकर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। बच्चे अवाक् से माँ को निहार रहे थे। कुछ देर बाद बड़ी मीनू बोली,"क्या हुआ माँ?"माँ जैसे होश में आयी और बच्चों को प्यार से देखती हुई बोली,"कहाँ रह गये थे तुम दोनों आज? कितनी देर लगा दी। "मनु उछल कर बोला,"माँ,मीनू दीदी गन्दी है। रास्ते में एक बाबाजी मिले थे,वो प्रसाद बाँट रहे थे, पर दीदी ने प्रसाद खाने नहीं दिया। आप ने बताया था न कि प्रसाद को कभी मना नहीं करते फिर भी। है न दीदी गन्दी,आप इनको डाँटना ।हाँ।" राधा ने किंकर्तव्यविमूढ़ होकर मीनू की ओर देखा। अब मीनू की बारी थी," माँ जब हम स्कूल से आ रहे थे तो मनु का जूता खुल गया था और इसने लैस बाँधने की कोशिश की थी जब इससे लैस नहीं बँधी तो मैंने इसकी लैस बाँधी थी तो हम दोनों के हाथ गंदे थे फिर हम जूतों वाले गंदे हाथों से प्रसाद कैसे खाते? इसलिए मैंने बाबा जी से प्रसाद लेकर बैग में रख लिया अब हम हाथ धोकर प्रसाद खा लेंगे मैंने ठीक किया न माँ? "हाँ बेटा बिल्कुल ठीक किया। "राधा इससे अधिक कुछ न कह सकी। उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसकी एक सीख ने उसकी दूसरी सीख को निष्प्रभावी कर आज उसके कलेजे के टुकड़ों को सही सलामत उसके सामने ला दिया। अचानक राधा ने मीनू का बैग खोलकर प्रसाद का दोना निकाला और नाली में फैंक दिया। नन्हा मनु चिल्लाया,"अरे माँ आपने भगवान का प्रसाद नाली में फैंक दिया भगवान नाराज होंगे अब" राधा दोनों बच्चों को पहलू मे समेटते हुए बोली,"नहीं होंगे। ये प्रसाद नहीं जहर है।" बच्चे कुछ नहीं समझ पा रहे थे प्रसाद आखिर जहर कैसे हो गया।

-हेमा तिवारी भट्ट
बैंक कालोनी, खुशहालपुर
मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
सम्पर्क सूत्र : 9720399413

मंगलवार, 16 अगस्त 2016

हिन्दी दिवस पर किया जाएगा डाॅ० राजीव सक्सेना को सम्मानित 

हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी की बैठक

             दिनाँक  15 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी समिति की बैठक सनातन धर्म मिलन धर्मशाला, मिलन विहार, मुरादाबाद में आयोजित की गई।

             बैठक में सर्वसम्मति से जितेन्द्र कुमार जौली को संस्था का महासचिव, राजीव 'प्रखर को कार्यकारी महासचिव और आनन्द कुमार गौरव को सदस्य संरक्षक समिति बनाया गया।


              इसके बाद हिन्दी दिवस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई । संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने बताया कि इस बार भी गत वर्षों की भांति हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमे काव्य-गोष्ठी, विचार-गोष्ठी और सम्मान तीनो कार्यक्रम होंगे।

              बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि इस वर्ष हिन्दी दिवस के अवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले मुरादाबाद के विख्यात साहित्यकार डाॅ० राजीव सक्सेना जी को सम्मानित किया जाएगा। उन्हे सम्मान स्वरूप मानपत्र, प्रतीक चिन्ह अंग-वस्त्र आदि भेंट किए जाएंगे।

              बैठक की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी ने की तथा संचालन श्री योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। बैठक में अम्बरीष गर्ग, जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, प्रदीप शर्मा, विकास मुरादाबादी, ओंकार सिंह ओंकार, के.पी. सिंह सरल, राम सिंह निःशंक, यू.पी. सक्सेना अस्त आदि लोग उपस्थित रहे।

स्वतंत्रता दिवस के नाम रही राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की कवि-गोष्ठी 

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की मासिक कवि-गोष्ठी

             14 अगस्त, 2016 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से जम्भेश्वर विश्नोई धर्मशाला लाईनपार मुरादाबाद मे स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके की गयी।



            इस अवसर पर कवियो ने वीर रस से परिपूर्ण गीतों एवं कविताओं से लोगों के हृदय में देशभक्ति के भाव भरे। कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल, विशिष्ट अतिथि श्री के० पी० सिंह सरल  और राजीव सक्सेना रहे। माँ शारदे की वन्दना रामसिंह निःशंक ने प्रस्तुत की तथा संचालन राजीव प्रखर ने किया।

           गोष्ठी मे जितेन्द्र कुमार जौली, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, ओमकार सिंह ओंकार, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, रामदत्त द्विवेदी, राजीव सक्सेना, के० पी० सिंह सरल, हेमा तिवारी भट्टा, राजीव प्रखर, रघुराज सिंह निश्चल, राम सिंह निःशंक, ऊदल सिंह सहयोगी, आशु मुरादाबादी आदि ने काव्यपाठ किया।

शनिवार, 13 अगस्त 2016

हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

    दिनाँक  7 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम  का शुभारम्भ श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी द्वारा सरस्वती वंदना कर तथा माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। 



    कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि  श्री राकेश चक्र तथा विशिष्ट अतिथि श्री रामसिंह निःशंक रहे।  कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी। 

     अपनी रचना में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- गौ रक्षक के देखिए , कितने उच्च विचार। जो भी काटे गाय को, तुम उसको दो मार।। अपनी रचना में वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी ने कहा कि- ‘‘खादी-खाकी आज खो रही दुनियां में अपनी पहचान, मानव से दानव होने का करा रही दुनियां को मान’’  डा. राकेश चक्र ने कहा कि- माँ मूरत प्रेम की, शतिल छांव समीर। खुद पीरों को सह गयी, है गंगा का नीर।। राजीव प्रखर ने कहा कि - कान्हा बोले यूं मैया से, क्यूं
कलियुग में जाऊं मैं । जो माखन अब नहीं है असली काहे भोग लगाऊं मैं।। 

   इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, राम सिंह नि:शंक, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, केपी सिंह सरल, पदम सिंह यादव, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्टा, योगेन्द्र पाल सिंह, प्रदीप शर्मा आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।

शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी 

दिनाँक 3 जुलाई, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की ओर से आकाँक्षा विद्यापीठ मिलन विहार, मुरादाबाद में मासिक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण तथा के0पी0 सिंह 'सरल' द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करके की गई। इसके बाद रचनाकारों ने काव्यपाठ द्वारा समाज की समस्याओ पर विचार व्यक्त किये।



                कार्यक्रम मे रामदत्त द्विवेदी, के.पी. सिंह सरल, संजीव आकाँक्षी, जितेन्द्र कुमार जौली,  रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, अम्बरीष गर्ग, राजीव प्रखर, रामदत्त द्विवेदी आदि ने काव्यपाठ किया। 

               कार्यक्रम की अध्यक्षता रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने की। मुख्य अतिथि श्री संजीव आकांक्षी तथा विशिष्ट अतिथि अम्बरीष गर्ग रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। कार्यक्रम के अन्त में संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया।


मंगलवार, 9 अगस्त 2016

 गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का किया गया लोकार्पण

गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का किया गया लोकार्पण

साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' एवं 'हिन्दी साहित्य संगम' के संयुक्त तत्वावधान में 5 जून 2016 को सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के समकालीन गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का लोकार्पण-समारोह मुरादाबाद में मिलन विहार दिल्ली रोड स्थित आकांक्षा इण्टर कॉलेज, के सभागार में संपन्न हुआ l इस अवसर पर एक भव्य काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया l



कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कवि श्री वीरेन्द्र सिंह 'बृजवासी' द्वारा प्रस्तुत  सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी ने कहा कि "व्योम के नवगीतों की भाषा इतनी सहज, सरल और बोधगम्य है कि पाठक को शब्दकोश तक जाने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। निश्चित रूप से संग्रह 'रिश्ते बने रहें' की रचनाएँ आमजन और कविता के बीच के क्षत-विक्षत पुल की मरम्मत कर उसे आवाजाही के लिए सुगम बनायेंगी।"  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने लोकार्पित कृति 'रिश्ते बने रहें' के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "संग्रह के नवगीत किसी बौद्धिक प्रचंडता की दादागीरी न होकर कसकती संवेदना के भावनात्मक संवाद हैं जो हृदय से निकलकर हृदय तक जाते हैं। संग्रह के नवगीतों में प्रतीक और बिम्ब बिल्कुल नए और अनछुए हैं।" विशिष्ट अतिथि  डॉ. अजय 'अनुपम' ने कहा कि "गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' ऐसे भावप्रवण यथार्थ के संवेदनाजन्य समकालीन गीतों का संकलन है जहाँ कड़वे सच को भी भाषा की मीठी चाशनी में पगाकर प्रस्तुत किया गया है।" विशिष्ट अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने कहा कि "आज के बाजारवाद और तकनीकी रूप से विकसित समय में सबसे अधिक क्षति रिश्तों के धरातल पर ही हुई है, संयुक्त परिवारों की परंपरा कहीं खो गई है और लोग अपनी निजता को प्रमुखता दे रहे हैं। ऐसे विद्रूप समय में कृति 'रिश्ते बने रहें' एक ताज़गी भरी उम्मीद जगाती है।" वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई, डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' एवं युवाकवि अंकित गुप्ता 'अंक' ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए l
इस अवसर पर लोकार्पित कृति के रचनाकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने काव्यपाठ करते हुए कहा- "चलो करें/कुछ कोशिश ऐसी/रिश्ते बने रहें। रिश्ते जिनसे/सीखी हमने/बोली बचपन की। संबंधों की/परिभाषाएँ/भाषा जीवन की। कुछ भी हो/ ये अपनेपन के/ रस में सने रहें।" तथा एक और नवगीत प्रस्तुत किया- "छोटा बच्चा/पूछ रहा है/कल के बारे में। अन्तर्धान/हुए थाली से/रोटी-दाल सभी। कहीं खो गए हैं/जीवन के/सुर-लय-ताल सभी। लगता ढूंढ रहे/आशाएँ/ज्यों इकतारे में।" कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवि श्री विवेक 'निर्मल' ने किया । आभार अभिव्यक्ति हिन्दी साहित्य  संगम संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने प्रस्तुत की।
 कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकार सर्वश्री डॉ. आर.सी.शुक्ला, मनोज 'मनु', प्रदीप शर्मा, राजीव 'प्रखर', जितेन्द्र कुमार जौली, रामवीर सिंह 'वीर', यशपाल सिंह 'खामोश', विकास मुरादाबादी, राम सिंह 'निशंक', श्रेष्ठ वर्मा, प्रवीन कुमार, परशुराम 'नयाकबीर', योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, सतीश 'फिगार', ज़िया ज़मीर, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, के.पी.सरल, योगेन्द्र रस्तोगी, शबाव मैनाठेरी, शिशुपाल मधुकर आदि उपस्थित रहे।

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

श्री राजीव प्रखर

परिचय : श्री राजीव 'प्रखर'

नाम : राजीव कुमार सक्सेना
साहित्यिक नाम : राजीव 'प्रखर'
जन्म तिथि : 4 जून, 1977
जन्म स्थान : डिप्टी गंज, मुरादाबाद (उ. प्र.)
पिता का नाम : स्व. श्री कृष्ण कुमार सक्सेना
माता का नाम : श्रीमती सरला रानी सक्सेना
पत्नी : श्रीमती रितु सक्सेना
शिक्षा : एम. ए. (अर्थशास्त्र)
व्यवसाय : ग्राफ़िक डिजाइनिंग
लेखन विधाएं : हास्य-व्यंग्य, मुक्तक, ओज गीत, ग़ज़ल आदि
रुचि : साहित्य, क्रिकेट, सामान्य जानकारी
प्रकाशित कृतियाँ : अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान : हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद द्वारा 'सारस्वत सम्मान' (२०१५), प्रेस क्लब ऑफ़ मुरादाबाद द्वारा सम्मान (2014), गोल्डन गेट ग्लोबल स्कूल, मुरादाबाद द्वारा 'हिन्दी दिवस सम्मान' (2015), मघुकर स्मृति ट्रस्ट, मुरादाबाद सम्मान (2015), प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम आंचलिक प्रदर्शनी (2015) में सम्मानित
विशेष : उपसचिव 'राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, मुरादाबाद, व उपसचिव 'हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद
पता : निकट राधा कृष्ण मन्दिर, मौहल्ला डिप्टी गंज, मुरादाबाद (उ. प्र.)-244 001
सम्पर्क सूत्र - 08941912642



Rajeev Prakhar










शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

ज़िया ज़मीर की ग़ज़ल

ग़ज़ल


ज़िन्दगी से थकी थकी हो क्या
तुम भी बे वज्ह जी रही हो क्या

देख कर तुम को खिलने लगते हैं
तुम गुलों से भी बोलती हो क्या

तुम को छूकर चमकने लगता हूँ
तुम कोई नूर की बनी हो क्या

मैं तो मुरझा गया हूँ अब के बरस
तुम कहीं अब भी खिल रही हो क्या

इस क़दर जो सजी हुई हो तुम
मेरी ख़ातिर सजी हुई हो क्या

आज यह शाम भीगती क्यों है
तुम कहीं छिप के रो रही हो क्या

सोचता हूँ तो सोचता यह हूँ
तुम मुझे अब भी सोचती हो क्या

इसकी ख़ुशबू नहीं रही वैसी
शहर से अपने जा चुकी हो क्या


-ज़िया ज़मीर
पता : जेड बुक डिपो, चौकी हसन खाँ
मुरादाबाद (उ0प्र0)
सम्पर्क सूत्र : 9319053181, 
87556 81225‬

मंगलवार, 26 जनवरी 2016

मनोज 'मनु' की रचना - स्वराष्ट्र को नमन सतत्


         स्वराष्ट्र को नमन सतत्.....




स्वराष्ट्र को नमन सतत्....

ये सर्व धर्म सन्मति की 
                प्रेरणा का स्रोत है,
अहिंसा ओर दया की 
           भावना से ओतप्रोत है
समस्त विश्व हित यहाँ 
         ऋषि मुनि हैं जप में रत
स्वराष्ट्र को नमन सतत्....

ये राष्ट्र श्रेष्ठतम् यहाँ
               प्रभु विराजमान हैं,
जो इसकी सुधि न लें तो
        जन्म शत् मृषा समान हैं,
ये ऋण है धर्म से महान
              कर्म से न हों विरत,,
स्वराष्ट्र को नमन सतत्.....

 गणतन्त्र में स्वराष्ट्र की 
              महान है उपासना,
गणतन्त्र में प्रजा हितोंकी
               होवे न अवहेलना,
गणतन्त्र में स्वतन्त्रता की 
             भावनाएं हों निरत...
स्वराष्ट्र को नमन सतत् ....।।

                         - मनोज 'मनु'
            लाइनपार, मुरादाबाद (उ.प्र.)
            सम्पर्क सूत्र : 9411077122

शनिवार, 23 जनवरी 2016

शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य विभूति सम्मान समारोह

शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य विभूति सम्मान समारोह


दिनांक 19 जनवरी 2016 को मानसरोवर कन्या इंटर कालेज, मुरादाबाद में मानसरोवर एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा साहित्य और कला विभूति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह का आयोजन फाउंडेशन की संस्थापिका व शिक्षाविद् स्व. शकुंतला प्रकाश गुप्ता की पुण्य स्मृति पर किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर अतिथि मौजूदा पुलिस उप महानिरीक्षक श्री ओंकार सिंह, वन संरक्षक कमलेश कुमार, संयुक्त शिक्षा निदेशकयोगेंद्र नाथ सिंह एवं विद्यालय प्रबंधक श्री ओमप्रकाश गुप्ता ने दीप प्रज्जवलन के साथ किया। तदुपरांत संगीतकार शिल्पी सक्सेना एवं राकेश कुमार ने सरस्वती वंदना एवं भजन प्रस्तुत कर शमा बांध दिया।


कार्यक्रम में सम्मानित किये गये व्यक्तित्व एवं अतिथिगण


 श्री ओंकार सिंह, श्री कमलेश कुमार, श्री योगेंद्र नाथ सिंह एवं श्री ओमप्रकाश गुप्ता के कर-कमलों से संगीत के क्षेत्र में भातखंडे संगीत संस्थान, लखनऊ (उ.प्र.) से डॉ ऊषा बनर्जी, एमआईटी शिक्षण संस्थान, मुरादाबाद के संस्थापक शिक्षाविद् श्री आदर्श अग्रवाल,समाज सेवी श्री लक्ष्मण प्रसाद खन्ना, वेब पत्रिका पूर्वाभास के संपादक, साहित्यकार डॉ अवनीश सिंह चौहान एवं समाजसेवी श्री विचित्र शर्मा को 'शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य एवं कला विभूति सम्मान' से सम्मानित किया गया। साथ ही चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विद्यालय के छात्र-छात्राएं को प्रशस्तिपत्र प्रदान किये गए। ये सम्मान पुलिस उप महानिरीक्षक श्री ओंकार सिंह, वन संरक्षक कमलेश कुमार, संयुक्तशिक्षा निदेशक योगेंद्र नाथ सिंह एवं विद्यालय प्रबंधक श्री ओमप्रकाश गुप्ता के कर कमलों से प्रदान किया गया। इस अवसर पर साहित्यकारों व कलाकारों ने अपनी कला व काव्य पाठ की प्रस्तुतियाँ दीं।



अपने उद्बोधन में सम्मानित व्यक्तित्वों को बधाई देते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक श्री ओंकार सिंह ने कहा कि स्व शकुंतला प्रकाश गुप्ता की स्मृति में किया गया यह आयोजन अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे साहित्य, कला एवं संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा। समाजसेवी लक्ष्मण प्रसाद खन्ना ने स्व शकुंतला प्रकाश गुप्ता की स्मृतियों को नमन करते हुए उनके जीवन से जुडी कुछ घटनाओं को जिक्र किया और सभी अतिथियों/आगंतुकों को कार्यक्रम में पधारने के लिए आभार व्यक्त किया। शब्दों के जादूगर बाबा संजीव आकांक्षी ने कहा कि यह विद्यालय परिवार एक लम्बे अरसे से इस महानगर में बेहतरीन कार्य कर रहा है, जिसकी जितनी प्रसंशा की जाय कम है। बड़े भाई जुगनू जादूगर जी ने कहा कि मेरी माताजी स्व शकुंतला प्रकाश गुप्ता जी मेरी प्रेरणाश्रोत रहीं हैं। इस कार्यक्रम के बहाने हम उन्हें याद तो करते ही हैं, उनके कृतित्व से छात्र छात्राओं को प्रेरणा भी मिलती है।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि वन संरक्षक श्री कमलेश कुमार, जेडी श्री योगेन्द्र नाथ सिंह, नागरिक सुरक्षा के सहायक उपनियंत्रक श्री ऋषि कुमार, आचार्य राजेश शर्मा, डॉ जगदीप कुमार, सुश्री रीता सिंह, श्री परवेन्द्र सिंह, श्री पंकज गुप्ता, श्री संतराम दास, डॉ दीपक राज गर्ग, श्री संजीव ठाकुर, डॉ हिमांशु यादव, डॉ बीएन के जौहरी, श्री अशोक अग्रवाल, श्री पंकज कुमार गुप्ता, श्री विनय कुमार गुप्ता, श्री राजीव विश्नोई, श्री उदय 'अस्त', डॉ. पूनम बंसल, श्री रामदत्त द्विवेदी, श्री रामेश्वर वशिष्ठ, श्री जितेंद्र कुमार जौली, श्री धवल दीक्षित, श्री डी डी गुप्ता, श्री अनुज गुप्ता एडवोकेट, श्री परविन्द्र सिंह, श्री ललित शेखावत, सुश्री सुनीता सिंघल एडवोकेट, श्री वी राज, श्री शोभित गुप्ता, श्री हर्षित गुप्ता, विद्यालय के छात्र-छात्राएं एवं स्टॉफ सहित अनेकों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संयोजन समाजसेवी श्री ओमप्रकाश गुप्ता और बेहतरीन संचालन डॉ अम्बरीश गर्ग ने किया।

ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' की पुस्तक 'बर्न्स विदिन' का लोकार्पण

ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' की पुस्तक 'बर्न्स विदिन'  का किया गया लोकार्पण

 आकांक्षा विद्यापीठ के सभागार में डॉ अवनीश सिंह चौहान द्वारा अनूदित वरिष्ठ साहित्यकार श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' की पुस्तक 'बर्न्स विदिन' 'Burns Within' (हिन्दी कविताओं का अंग्रेजी मेंअनुवाद) का लोकार्पण प्रो आर सी शुक्ला, श्री रमेश चन्द्र शर्मा 'विकट', डॉ ए के गुप्ता, डॉ सुधीर कुमार अरोड़ा, श्री अशोक विश्नोई, डॉ अम्बरीष गर्ग, श्री राजीव सक्सैना, डॉ सत्यवीर सिंह चौहान, श्री हिमांशु यादव एवं श्री योगेन्द्र रस्तौगी ने किया।



ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' की पुस्तक 'बर्न्स विदिन' का लोकार्पण करते साहित्यकार

कार्यक्रम का शुभारम्भ मां वागेश्वरी के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं डॉ प्रेमवती उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात इस कृति के रचनाकार ब्रज भूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने हिन्दी में अपनी दो कविताओं का पाठ किया और अनुवादक डॉ अवनीश सिंह चौहान ने उन्हीं कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अंग्रेजी भाषा के वरिष्ठ कवि प्रोफ़ेसर आर सी शुक्ला ने कहा कि अनुवाद एक कठिन प्रक्रिया है, इसलिए अनुवाद किसी मौलिक रचना के सृजन से कहीं अधिक समय, शक्ति और समझ की मांग करता है। इस दृष्टि से डॉ चौहान का यह अनुवाद कार्य उत्कृष्ट एवं सराहनीय है।



कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बरेली से पधारे पूर्व एमएलसी एवं वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चन्द्र शर्मा 'विकट' ने कहा कि यह पुस्तक 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना को व्यक्त करती है। अनुवाद होने से देश-दुनिया के पाठकों तक यह बात पहुंचेगी। अतः रचनाकार और अनुवादक दोनों को बहुत-बहुत बधाई। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अंग्रेजी के चर्चित आलोचक एवं कवि डॉ सुधीर कुमार अरोड़ा ने कहा कि डॉ अवनीश चौहान अंग्रेज़ी के लेखकतो हैं ही, हिन्दी साहित्य में भी काफी सक्रिय हैं। यानी कि वह दोनों भाषाओँ का:संस्कार रखते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि उनके द्वारा किया गया यह अनुवाद कार्य महत्वपूर्ण एवं पठनीय है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफ़ेसर डॉ ए के गुप्ता ने कहा कि मुरादाबाद में किसी रचनाकार की रचनाओं का अनुवाद पहली बार पुस्तकाकार हुआ है। इसलिए इस पुस्तक ने अपने शहर को गौरवान्वित किया है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं संपादक अशोक विश्नोई ने कहा कि गौतम जी का नाम मुरादाबाद के प्रमुख साहित्यकारों में शुमार हैं। इंटरनेट पर बर्न्स विदिन ब्लॉग (http://burnswithin.blogspot.in/) पर अनुवाद प्रकाशित होने से उन्हें अब विश्वभर में पढ़ा जा रहा है। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिन्दी के चर्चित लेखक एवं आलोचक राजीव सक्सैना ने कहा कि अनुराग जी की रचनाएँ भारतीय जीवन एवं संस्कृति को बड़ी सजगता एवं संवेदनशीलता से उद्घाटित करती है। अब अनूदित रचनाओं के माध्यम से रचनाकार की व्यापक पहचान बन सकती है।

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति का मकर संक्रान्ति कार्यक्रम


राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति का मकर संक्रान्ति कार्यक्रम 



                15 जनवरी 2016 को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार, मुरादाबाद मेँ कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके की गयी।
काव्यपाठ करते हुए डाॅ. अवनीश सिंह चौहान

                                 कार्यक्रम में रामसिंह निःशंक, योगेंद्र विश्नोई, जितेन्द्र कुमार जौली, अंकित गुप्ता अंक, कृपाल सिंह धीमान, उदय अस्त, प्रदीप शर्मा, अशोक विश्नोई, अम्बरीष गर्ग, रघुराज सिंह निश्चल, अवनीश सिंह चौहान, ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ट आदि ने काव्यपाठ किया।

                                इस अवसर पर गरीबों को कम्बल वितरित किये गये तथा खिचड़ी भोज भी कराया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश चन्द्र गुप्ता ने की। मुख्य अतिथि यशपाल सिंह खामोश तथा विशिष्ट अतिथि धवल दीक्षित रहे। सरस्वती वन्दना रामसिंह निःशंक ने की तथा संचालन अंकित गुप्ता अंक ने किया।




काव्य

सोमवार, 4 जनवरी 2016

'चन्दन वन सँवरें' का किया गया लोकार्पण

'चन्दन वन सँवरें' का किया गया लोकार्पण


                       दिनांक 3 जनवरी, 2016 को मुरादाबाद की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य संगम' के तत्वावधान में मिलन विहार दिल्ली रोड स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कालेज के सभागार में लोकार्पण समारोह एवं काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें हिन्दी गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' के सद्य: प्रकाशित गीत-नवगीत संग्रह "चंदन वन सँवरें" का गरिमामय लोकार्पण सम्पन्न हुआ।

                  कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' ने की, मुख्य अतिथि श्री योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री अशोक विश्नोई रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने प्रस्तुत की।
                    कार्यक्रम में जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, राकेश चक्र, अवनीश सिंह चौहान, विकास मुरादाबादी, प्रदीप शर्मा, के.पी. सिंह सरल, रामसिंह निःशंक, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, फक्कड़ मुरादाबादी, विवेक निर्मल आदि ने काव्यपाठ भी किया।