रविवार, 6 नवंबर 2016

हिन्दी साहित्य संगम की गोष्ठी में रचनाकारों ने किया काव्यपाठ 

हिन्दी साहित्य संगम की गोष्ठी में रचनाकारों ने किया काव्यपाठ 

 मुरादाबाद की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था  हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि गोष्ठी दिनाँक 6 नवंबर, 2016 को मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित सनातन धर्म मिलन धर्मशाला में आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। गोष्ठी में उपस्थित साहित्यकारों ने अपनी रचनाएं इस प्रकार प्रस्तुत की-
 जितेन्द्र कुमार जौली ने "कुछ तो होगा फायदा, सोच रहे थे लोग। पर हमको बहका गया, यह वेतन आयोग।।"  
राजीव 'प्रखर' ने "नन्ही मुनिया को मिला, उसी जगत से त्रस्त। जिसमें लोगों ने रखा, नौ दिन का उपवास ।।"



रामदत्त द्विवेदी ने "वह हमारे साथ में जब तक रहे, जिंदगी हर मोड़ पर अच्छी लगी। जब से छूटा हमसे उनका वास्ता, तो खुशी हर मोड़ पर  कच्ची लगी।।" 
 ओंकार सिंह ओंकार ने "आइएये! मिल-बैठकर बाजार की चर्चा करें। जिसने छीना आदमी से प्यार की चर्चा करें।"
 योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने "अट्टाहास करता रहा, जालिम भ्रष्टाचार। डिग्री हमें हाथ में, युवा वर्ग लाचार।। सपनों के बाजार में, 'हरिया' खड़ा उदास। भूखा-नंगा तन लिए, कैसे करे विकास।"
 रामेश्वर प्रसाद वशिष्ट ने "जलते दियो से दिलों में रोशनी कर लो। अमावस के अंधकार को पूनम में बदलो।।"
 के0 पी0 सिंह 'सरल' ने "देश सिरमौर था वह वक्त कोई और था, अब तो यहाँ संस्कृति का पराभाग हो रहा अंग्रेजी के स्कूलों ने समाज  बरबाद किये, सरकारों के मुँह पर भी लगा हुआ ताला है।।" 

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार तथा  विशिष्ट अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ रहे। सरस्वती वंदना श्री राजीव 'प्रखर' ने प्रस्तुत की और कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें