शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

आकांक्षा विद्यापीठ में किया गया कवि-गोष्ठी का आयोजन

हिन्दी साहित्य संगम की अक्टूबर माह की कवि-गोष्ठी 

दिनाँक 2 अक्टूबर, 2016 को सनातन धर्म मिलन धर्मशाला, मिलन विहार मुरादाबाद में हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कवि-गोष्ठी में उपस्थित  रचनाकारों ने अपने मन के उद्गार व्यक्त किए। 




योगेंद्र वर्मा व्योम ने "पता नहीं अभिशाप है, या फिर यह वरदान। मोबाइल ने छीन ली, चिट्ठी की पहचान।" प्रदीप शर्मा ने  "आतंकी हथियार फेंक मेरे देश में आना तुम, कभी किसी दरगाह पे जाकर श्रद्धा शीश नवाना तुम।" ओंकार सिंह  ओंकार ने "तुम नई राहें बनाने का जतन करते चलो, जो भी वीराने मिले उनको चमन करते चलो।" जितेन्द्र कुमार जौली ने "गंदी नजर डालता, भारत पर जब पाक। मिलती उसको मात है, कटती उसकी नाक।"  राजीव प्रखर ने "शीर्ष  पदों पर रहकर भी जो, धरती पर ही सोता है। सदियों में ही जाकर ऐसा, लाल बहादुर होता है।" अपनी रचना पढ़ी।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई  ने की। मुख्य अतिथि श्री ओंकार सिंह ओंकार तथा विशिष्ट अतिथि श्री क्षेत्रपाल सिंह सरल रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया तथा सरस्वती वंदना सरस्वती वंदना श्री अशोक कुमार विश्नोई ने प्रस्तुत की। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया।

 कार्यक्रम में रामदत्त द्विवेदी, राजीव प्रखर, योगेन्द्र वर्मा व्योम,  रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, के पी सिंह सरल, अशोक कुमार विद्रोही, योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, प्रदीप शर्मा, ओंकार सिंह ओंकार, जितेन्द्र कुमार जौली आदि ने काव्य पाठ किया।

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