मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी में बरसा काव्य रस

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी में बरसा काव्य रस

काव्यपाठ करते हुए श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ट
                           दिनाँक 7 अप्रैल, 2013 को हिन्दी साहित्य संगम की ओर से आकाँक्षा विद्यापीठ मिलन विहार, मुरादाबाद में मासिक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण करके की गई। इसके बाद रचनाकारों ने काव्यपाठ किया।
                           उदय प्रकाश सक्सेना ने " बादल फिर घनघोर हो गये, तिनके भी मुँहजोर हो गये। फाड़ रहे हैं सबके दामन,  सभी नुकीले कोर हो गये॥", विकास मुरादाबादी ने, "जनता सदा बही काटती है जो सदा बोती। फिर भी यह सरकार का रोना सदा रोती॥" पढ़ा।
                            कार्यक्रम मेँ अशोक विश्नोई, अंशुल तिवारी, सतीश सार्थक, रघुराज सिंह निश्चल, रामदत्त द्विवेदी, जितेन्द्र कुमार जौली, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ट, रवि चतुर्वेदी, ओंकार सिंह ओंकार, के॰पी॰ सिंह सरल, राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग आदि ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री  रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि डॉ0 अशोक विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग रहे। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कुमार जौली ने किया एवं सरस्वती वन्दना अंकित गुप्ता अंक ने प्रस्तुत की।

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