काव्य-कृति 'हथेलियों में चाँदनी' का किया गया लोकार्पण
दिनाँक २२ दिसम्बर, 2019 को साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' के तत्वाधान में नवीन नगर स्थित हरसिंगार भवन में, लोकार्पण समारोह एवं कृति चर्चा का कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें हिन्दी कविता की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर श्रीमती विशाखा तिवारी की काव्य-कृति 'हथेलियों में चाँदनी' का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिन्दू डिग्री कॉलेज, मुरादाबाद के पूर्व प्राचार्य, डॉ० रामानंद शर्मा ने कहा, "विशाखा जी की पुस्तक 'हथेलियों में चाँदनी' हिन्दी कविता को समृद्ध करती है। यह मुरादाबाद के साहित्य को राष्ट्रीय पहचान प्रदान करने वाले कारकों में अपना प्रमुख स्थान बनायेगी। नि:संदेह इस कृति की कविताएं संग्रहणीय हैं।"
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मशहूर शायर श्री मंसूर 'उस्मानी' ने अपने उद्बोधन में कहा, "विशाखा जी की रचना धर्मिता का मुख्य द्वार है 'हथेलियों में चाँदनी'। अब तक लोग हथेलियों में मुकद्दर की लकीरों और मेहंदी की खूबसूरती को निहारते रहे हैं लेकिन मेरा यक़ीन है कि 'हथेलियों में चाँदनी' पर गौर करने में लोगों की एक उम्र बीत जायेगी।"
विशिष्ट अतिथि एवं सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि डॉ० मक्खन 'मुरादाबादी' ने कहा, "हथेलियों में चाँदनी' पुस्तक की कविताओं में घर-परिवार, देश-समाज, गीत-संगीत, प्रकृति और गौरैया के माध्यम से जिस राग और अनुराग का दर्शन हुआ है, वह विशाखा जी के अपने ही रंग का है। उनकी कविताओं में एक ऐसी छाप है जो आलाप ही आलाप है। यह सब कुछ साहित्य में संगीत का प्रताप है।"
सुप्रसिद्ध नवगीतकार डॉ० माहेश्वर तिवारी ने इस अवसर पर कहा, "विशाखा जी मूलता संगीतज्ञा हैं। इस नाते उनकी कविताओं में एक लयात्मकता हर ओर दिखाई पड़ जाती है। संगीत के छंद से परिचित होने के बावजूद कविता के छंद से अपरिचित होने के कारण उन्होंने मुक्त छंद की कविताएं लिखीं जो मानवीयता को समर्पित हैं।"
कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा, विशाखा जी की कविताएं उनके संगीतज्ञा से कवयित्री बनने की यात्रा का वृतांत सुनाती हैं और साक्षी बनकर अपने समय के अन्याय व क्रूरता को चुनौती देते हुए मनुष्यता का दस्तावेज बनती है। विशाखा जी की प्रेम कविताओं में शब्द अर्थों में घुल जाते हैं और अर्थ शब्दों की दिव्य देह धारण कर अनुभूति को चरमोत्कर्ष तक पहुँचाते हैं।"
सुप्रसिद्ध शायर डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कृति की चर्चा करते हुए कहा, "विशाखा जी की कविताएं समर्पित प्रेम की श्रेष्ठ कविताएं हैं जो उनके व्यक्तित्व की तरह सहज व सरल भाषा में कही गई हैं और पाठक के मन को छूती हैं।"
शायर ज़िया ज़मीर ने समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा, "पुस्तक की कविताएं सहज, कलात्मक और हृदयस्पर्शी हैं इसलिए इन कविताओं का रस एकांत में पढ़ कर ही लिया जा सकता है।"
चर्चित कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट ने कहा, "हथेलियों में चाँदनी पुस्तक की कविताएं पढ़ते हुए लगता है जैसे कोई चित्रकार सामने बैठकर चित्र बना रहा है। विशाखा जी की कविताओं में गढ़े गये शब्द-चित्र पाठक को अंत तक बाँधे रखते हैं।"
डॉ० उन्मेष सिन्हा, डॉ० प्रेमवती उपाध्याय, अशोक विश्नोई, डॉ० मीना कौल, शिशुपाल 'मधुकर', डॉ० पूनम बंसल, डॉ० बबीता गुप्ता, संजय मिश्र, मनोज 'मनु', राजीव 'प्रखर', मोनिका 'मासूम' आदि ने भी कृति के संदर्भ में विस्तारपूर्वक विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंत में कृति की कवयित्री विशाखा तिवारी ने एकल कविता-पाठ भी किया। उन्होंने अपनी रचनाएं पढ़ते हुए कहा -
"तुम्हारा मेरे पास होना
बन जाता है एक उत्सव
खोलना चाहती हूँ
तुम्हारे मन की हर परत।
उतरना चाहती हूँ उसकी गहराईयों में
बाँधना चाहती हूँ तुम्हें अपने शब्दों में।"
******
"वह घर में हो या घर से बाहर
उसे डर लगता है
वह गाना चाहती है
डर के खिलाफ
अमन का राग
रविशंकर का सितार
चौरसिया की बाँसुरी
अमजद का सरोद
खुसरो का सूफ़ी संगीत।"